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(२०५) नत्थ कही, एक लोगस्स, या चार नवकारनो कानस्सग्ग करी, पारी, पुरकरवरदी सबस्स नगवओ करेमि काज वंदण कही, अन्नत्थन कही एक लोगस्सनो या चार नवकारनो काउस्सग्ग करी, पुरकरवरदी सुअस्स जगव करेमिकान वंदण कही, अन्नत्थन कही एक लोगस्सनो या चार नवकारनो काउस्सग्ग करी, पारी सिकाणं बुझाणं कहे. पठी "सुअदेवयाए करेमि कानस्सग्गं अन्नत्थ कही एक नवकारनो काउस्सग्ग करी, पारी, नमोऽहत कही पुरुष सुभदेवयानी थोय (अहीं स्त्री होय तो ते कमलदलनी स्तुति कहे) कहेवी, पठी “खित्तदेवयाए करेमि काउस्सग्गं अन्नत्थ कही, एक नवकारनो काउसग्ग करी, पारी, नमोऽहत्। कही, जीसे खित्ते साहनी थोय कहेवी. (अहीं पण स्त्री होय तो ते यस्याः देत्रं नी थोय कहे) पड़ी एक नवकार गणी बेसीने मुहपत्ति पमिलेहवी. पली बे वांदणां देवा. पनी अवग्रहमा ज उन्ना उत्ना "सामायिक, चवीसत्थो, वांदणां, पडिकमj, कान
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