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( २०६ ) थई अरिहंत चेश्थाएं कही अन्नत्थकही एक नवकारनो का सग्ग करी पोरी नमोऽई कही पहेली थोय कदेवी. पठी लोगस्स, सव्वलोए अरिहंत चेश्या० न्नथ्य० कही एक नवकारनो का सग्ग करी पारी बीजी थोय कहेवी. पुरकरवरदी, सुस्स जगवर्ज करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्तिए कही, अन्नत्थ० कही, एक नवकारनो का सग्ग करी, पारी त्रीजी थोय कदेवी. पी सिद्धाणं बुद्धा कही, वेयावच्चगरा० न्नथ० कही, एक नवकारनो काउसग्ग करी, पारी नमोऽर्हत्० कही चोथी थोय कवी. पढी बेसीने नमुत्यु कहेतुं पढी उजा थइ चार खमासमण देवा पूर्वक " जगवा - नहं, श्राचार्यहं, उपाध्यायहं सर्वसाधुहं " एम क. पी 'इकारि समस्त श्रावकने वांएं,' एम कहे. पछी " छा० संदि० जग० देवसिप डिक्कमणे गजं ? श्वं " ए श्रादेश मागीने बेसी जमणो हाथ चरवला उपर या भूमि उपर स्थापी " सवस्सवि देवसिय 5चिंति, डुब्नासिय, पुच्चि हिश्र मिठामि
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