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राला ॥ केश योगिणी जोगिणी नोगरागे, के रुजणी गगनो दोम मागे॥५॥ श्स्या देव देवी तणी आश राखे, तदा मुक्तिना सुखने केम चाखे ॥ जदा लोलना थोकनों पार नाव्यो, तदा मधनो बिंउ मन्न नाव्यो॥६॥ जेद देवलां आपणी आशराखे, जेद पिंडने मनशुं लेअ चाखे ॥ दीन दीननी नीड ते केम नांजे, फुटो ढोल दोए कदो केम वाजे ॥ ७ ॥ अरे मूढ जातो नजो मोददाता, अलोनी प्रनुने नजो विश्वख्याता ॥ रत्न चिंतामणि सारिखो एह साचो, कलंकी काचना पिंडणुंमत राचो ॥ ॥ मंद बुद्धि जेद प्राणी कदे , सवि धर्म एकत्व नूलो नमे ॥ कीदां सर्षवा ने कीदां मेरु धीरं, कीदां कायरा ने कीदां शूरवीर॥॥ कीदां स्वर्णथावं कीदां कुंजखंडं, कीद
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