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पंचसमि तिगुत्तो, छत्तीसगुणो गुरू मज्छ॥३॥ इति ॥२॥ गाथा [२] पद [-] गुरु [१०] लघु [७०] सर्ववर्ण[४०]
३॥ अथ खमासमणसुत्तं ॥ श्वामि खमासमणो ! वंदिलं, जावणिजाए निसीदिआए, मत्थएण वंदामि ॥ इति ॥३॥ ___गुरु [३] लघु [ २५] सर्ववर्ण [२०] ४॥अथ सुगुरुने साता सुखपृडा ॥
॥श्चकार सुदराई सुहदेवसि, सुखतप शरीर निराबाध ॥ सुखसंजमजात्रा निर्वहो गेजी, स्वामी साता जी ! नातपाणीनो लाल देजो जी ॥ इति ॥४॥
५॥ अथ इरियावदियसुत्तं ॥
॥नाकारेण संदिसह नगवन् ! हरियावदियं पमिकमामि ? श्बं, बामि पडिकमिजं ॥१॥ इरियावदियाए, विराद१ बपोर पहेलाना वखतमां कहेवू. २ बपोरपछीना वखतमां कहे.
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