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KIRRORAM
SANDS
॥अथ ॥ ॥ श्रावकस्य पञ्चप्रतिक्रमणादिसूत्राणि ॥ १ प्रथमं नमस्कारसूत्रं (पंचमंगलरूपम्)॥
नमो अरिहंताणं॥१॥नमो सिहाणं ॥२॥ नमो आयरियाणं ॥३ ॥ नमो नवज्छायाणं॥४॥ नमो लोए सबसाहूणं ॥५॥ एसो पंचनमुक्कारो ॥६॥ सबपावप्पणासणो ॥७॥ मंगलाणं च सवेसिं ॥ पढमं दवइ मंगलं ॥७॥इति ॥१॥ पद [ए] संपदा[] गुरुवर्ण[७] लघुवर्ण [६१]सर्ववर्ण [६४]
॥ अथ पंचिंदिअसुत्तं ॥ __पंचिंदिअसंवरणो, तद नवविदबंनचेरगुत्तिधरो ॥ चनविदकसायमुक्को, श्य अहारसगुणेदिं संजुत्तो ॥१॥ पंचमदवयजुत्तो, पंचविदायारपालणसमत्यो ॥
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