________________
(१२५) गिरिये ॥ ए आंकणी ॥ श्रीविमलाचलतीरथ फरसी, आतम पावन करीये ॥ चालो० ॥ १ ॥ण गिरिजपर मुनिवर कोडी, आतम तत्व निपायो ॥ पूर्णानंद सहज अनुनवरस, मदानंद पद पायो चालो० ॥२॥ पुंडरिक पमुदा मुनिवर कोडि, सकल विन्नाव गमायो । नेदानेद तत्त्व परिणतिथी, ध्यान अनेद नपायो । चालो० ॥ ३ ॥ जिनवर गणधर मुनिवर कोडी, ए तीरथ रंग राता ॥ शुभ शक्ति व्यक्ते गुण सिदि, त्रिभुवन जनना त्राता चालो० ॥४॥ए गिरि फरसे नव्य परीदा, उर्गतिनो दोये बेद ॥ सम्यक् दरिसण निर्मल कारण, निज आनंद अनेद ॥ चालो० ॥ ५॥ संवत अढार चम्मोतरा वरसे, शुदि मागशिर तेरशीये ।। श्रीसूरतथी नक्ति दरखथी, संघ सहित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org