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________________ छप गया! छप गया !! छप गया !!! स्था० जैन साहित्य का चमकता हुआ सितारा, भगवान् महावीर का आदर्श जीवन लेखक-प्रखर पंडित मुनि श्री चौथमलजी महाराज सच्ची ऐतिहासिक घटनाओं का भण्डार वैराग्य रस का जीता जागता श्रादर्श, राष्ट्र--नीति व धर्म-नीति का खजाना सुमधुर--ललित भाषा का प्राण, सजीव भाषा में विरचित भर वान् महावीर का आद्योपान्त जीवन चरित्र छप कर तैयार है। जिसकी जगत् वल्लभ प्रसिद्धवक्ता पं. मुनि श्री चौथमल जी महाराज सा० ने साधुवृत्ति की अनेक कठिनाइयों का सामना करके अपने अमूल्य समय में रचना की है। संसार की कैसी विकट परिस्थिति में भगवान का अवतार हुआ ? भगवान् ने किस धीरवीरता के साथ उन विकट परि. स्थितियों का समूल नाश कर अमर शांति का एक छत्र शासन स्थापित किया, लोक कल्याण के लिये कैसे कैसे अला परिषहों को सहन किया? आदि रद पूर्ण घटनाओं का रूचा हाल पुस्तक के पढ़ने से ही विदित होगा । स्थानाभाव से हम यहां उसका विस्तृत वर्णन नहीं कर सकते । अथाह संसार सागर को पार करने के लिए यह जीवनी प्रगाढ़ नौका का काम देगी। इस की एक एक प्रति तो प्रत्येक सद्गृहस्थ को अवश्य ही अपने पास रखना चाहिए । बड़ी साइज के लगभग ६५० पृष्ठ सुनहरी जिल्द तिसपर भी मूल्य केवल २॥) मात्र । शीव्र मंगाकर पढ़िये। अन्यथा द्वितीय संस्करण की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। .. पता-श्री जैनोदय पुस्तक प्रकाशक समिति, रतलाम. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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