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( ७३६ )
थोकडा संग्रह ।
मानं, अल्प माया, अल्प लोभ, अल्प राग, अल्प द्वेष, अल्प सोवे, अल्प बोले आदि ।
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३ वृत्ति संक्षेप ( भिक्षाचरी) के अनेक भेदअनेक प्रकार के अभिग्रह धारण करे जैसे द्रव्य से मुक वस्तु ही लेना, अक नहीं लेना । क्षेत्र से अनुक घर, गाँव के स्थान से ही लेने का अभिग्रह | काल से अमुक समय, दिन को व महिने में ही लेने का अभिग्रह | भाव से अनेक प्रकार के अभिग्रह करे जैसे बर्तन में से निकालता देवे तो कल्पे, बर्तन में डालता देवे तो कल्पे, अन्य को देकर पीछे फिरता देवे तो कल्पे, अमुक वस्त्र आदि वाले तथा *मुक प्रकार से तथा अमुक भाव से देवे तो कल्पे इत्यादि अनेक प्रकार के अभिग्रह धारण करें ।
४ रस परित्याग तप के अनेक प्रकार है- विगय (दूध, दही, घी, गुड़, शक्कर, तेल, शहद, मख्खन आदि) का त्याग करे । प्रणीत रस ( रस करता हुवा (आहार) का त्याग करे, निवि करे, एकासन करे, आयं बिल करे, पुरानी वस्तु, बिगड़ा हुवा अन्न, लूखा पदार्थ आदि का आहार करे | इत्यादि रस वाले आहार को छोड़े । ५ काया क्लेश तप के अनेक भेद है- एक ही स्थान पर स्थिर हो कर रहे, उकडु - गौदुह - मयुरासन पद्मासन आदि ८४ प्रकार का कोई भी आसन कर के बैठे ।
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