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________________ ( ७१२ ) हैं कि नेरिये के अजीव द्रव्य काम आते हैं ? उ०- अजीव द्रव्य के नेरिये काम नहीं आते, परन्तु नरिये के अजीव द्रव्य काम आते हैं। अजीव का ग्रहण करके नेरिये १२ बोल उत्पन्न करते हैं । ( ३ शरीर, इन्द्रिय, मन, वचन और श्वासोश्वास ) देवता के १३ दण्डक के प्रश्नोत्तर भी नारकीवत् ( १२ बोल उपजावे ) थोकडा संग्रह । चार स्थावर के जीव ६ बोल ( ३ शरीर स्पर्शेन्द्रिय काय और श्वासोश्वास ) उपजावे वायु काय के जीव ७ बोल ऊार के ६ और वैक्रिय) उपजावे | बेइन्द्रिय जीव ८ बोल उपजावे ( ३ शरीर, २ इन्द्रि य, २ योग, श्वासोश्वास | ) त्रि- इन्द्रिय जीव ६ बोल उपजावे ( ३ शरीर, ३ इन्द्रि य २ योग, श्वासोश्वास ) | चौरिन्द्रिय जीव १० बोल उपजावे ( ३ शरीर, ४ इन्द्रिय २ योग, श्वासोश्वास ) | तिर्यच पंचेन्द्रिय १३ बोल उपजावे ( ४ शरीर, ५ इन्द्रिय, ३ योग, श्वासोश्वास 1) मनुष्य सम्पूर्ण १४ बोल उपजावे | ॥ इति द्रव्य-जीवाजीव सम्पूर्ण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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