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संख्यादि २१ बोल ।
(६७६ )
जम्बूद्वीप से शुरू करके एकेक. दाना एकेक द्वोप और समुद्र में डालता हुवा चला जावे अन्त में १ दाना बच जाने पर द्वीप व समुद्र में डालने से रुके बचा हुवा दाना शीलाकवाला के अन्दर डाले जितने द्वीप व समुद्र तक डालता हुआ पहुंच चुका है उतना बडा लम्बा और चोडा पाला किन्तु १० हजार यो० गहरा ८ यो० जगती०॥ यो० की बेदिका वाला बनावे इसे सरसव से भर कर आगे के द्वीप व समुद्र में एकेक दाना डालता जावे एक दाना बच जाने पर ठहर जावे बचे हुवे दाने को शालाक पाले में डाले पुनः उतने ही द्वीप तथा समुद्र के विस्तार वत् ( महराई जगती ऊस वत् ) बनाकर सरसव से भरकर आगे के एकेक द्वीप व एकेक समुद्र में एकेक दाना ड लता ज व बचे हुवे एक दाने को डाल कर शीलाक को भर देवे भर जाने पर उसे उठा कर अन्तिम (बाकी भरे हुवे ) द्वीप तथा समुद्र से आगे एकेक दाना डाल कर खाली करे एक दाना बचने पर पुनः उसे प्रति शीलाक पाले में डाले इस प्रकार आगे २ के द्वीप समुद्र को अनवस्थित पाला बनावे बच हुदे एक दाने से शीलाक भरे शीलाक की बचत के एकेक दाने से
प्रति शीलाक को भरे प्रति शीलाक को खाली करते हुवे • बचत के एकेक दाने से महा शीलाक को भरे इस प्रकार
महा शीलाक का भर देवे पश्चात् प्रति शीलाक, शीलाक
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