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नारकी का नरक वर्णन।
कर शेष १० बान्तराओं में दश जाति के भवन पति रहते हैं। शेष मरकों में भवन पति देवताओं के पास नहीं हैं। प्रत्येक पाथड़ा ३००० योजन का है जिसमें १००० योजन ऊपर, १००० योजन नीचे छोड़ कर मध्य के १००० योजन के अन्दर नेरिये उत्पन्न होने की कुम्भिये हैं।
६ एकेक पाथड़े का अन्तर--पहेली नरक में ११५८३३ यो०, दूसरी में ६७०० यो०, तीसरी में १२७५० यो०, चोथी में १६१६६२ यो०, पांचवीं में २५२५० यो०, छट्ठी में ५२५०० यो०, का अतन है सातवीं में एक ही पाथड़ा है।
१० घनोदधि द्वार-प्रत्येक नरक के नीचे २० हजार योजन का घनोदधि है।
११ घनवायु द्वार--प्रत्येक नरक के घनोदधि नीचे असंख्य योजन का धनवायु है ।
१२ तनवायु द्वार--प्रत्येक नरक के धनवायु नीचे असंख्य योजन का तनवायु है ।
१३ अाकाश द्वार प्रत्येक नरक के तनवायु नीचे असंख्य योजन का आकाश है।
१४ नरक-नरक का अन्तर--एक नरक में दूसरी नरक से असंख्य असंख्य योजन का अन्तर है।
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