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________________ AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA ( ६४० ) थोकडा संग्रह। रात्रि पहर देखने [जानने की विधि ( श्री उत्तराध्ययन सूत्र अध्ययन २६) जिस काल के अन्दर जो जो नक्षत्र समस्त रात्रि पूर्ण करता होवे वो नक्षत्र के चौथे भाग में आता हो । उस समय ही फेरसी आती है रात्रि की चौथी पोरसी चरम (अन्तिम ) चौथे भाग को (दो घटी रात्रिको ) पाउस (प्रभात ) काल कहते हैं । इस समय सज्झाय से निवृत हो कर प्रति क्रमण करे । नक्षत्र निम्न लिखित अनुसार है । श्रावण में.-१४ दिन उत्तराषाढा, ७दिन अभिच, ८दिन श्रवण १ निष्टा भाद्रपद में-१४दिन धनिष्टा, ७दिन शतभिखा, ८ दिन पूर्वा भाद्रपद, १ दिन उत्तरा भाद्रपद आश्विन में.-१४ दिन उत्तरा भाद्रपद, १५ दिन खती १ दिन अश्वनी कार्तिक में--१४ दिन अश्वनी, १५ दिन भरणी, १ दिन कृतिका मगशर में--१४ दिन कृतिका, १५ दिन रोहिणी, १दिन मृगशर पोष में १४ दिन मृगशर, दिन आद्री, ७ दिन पुनर्वसु १ दिन पुष्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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