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थोकडा संग्रह।
त्रयस्त्रिंशक ४ सामानिक ५ अहमिन्द्र । पुलाक, वकुश, पडि सेवण, प्रथम ४ पदवी में से १ पदवी पावे । कषाय कुशील ५ पदवी में से १ पावे, निग्रंथ अहमिन्द्र होवेस्नातक आराधक अहमिन्द्र होवे तथा मोक्ष जावे. विराधक ज० विरा० होवे तो ४ पदवी में से १ पदवी पावे० उ० वि० २४ एड क में भ्रमण करे।
१४ संयम द्वार-संख्याता स्थान असंख्याता है। चार नियंठा में असंख्याता संयम स्थान और निग्रंथ, स्नातक में संयम स्थान एक ही होवे । सर्व से कम नि० स्ना०के सं० स्था० । उनसे पुलाक के सं० स्था० असंख्यात गुणा० उनसे वकुश के सं० स्था० असंख्यात गुणा, उनसे पडि सेवण सं० स्था० असंख्यात गुणा० उनसे कषाय कुशील का सं० स्था० असंख्यात गुणा ।
१५ निकासे-( संयम का पर्याय ) द्वार- सबों का चारित्र पर्याय अनन्ता अनन्ता, पुलाक से पुलाक का चारित्र पर्याय परस्पर छठाणवलिया । यथा .
१ अनन्त भाग हानि, २ असंख्य भाग हानि,
३ संख्यात भाग हानि ।। ४ संख्यात भाग हानि ५ असंख्य भाग हानि ६
अनन्त भाग हानि। १ अनन्त ,, वृद्धि २,,, वृद्धि ३ संख्यात , वृद्धि ४ संख्यात,,,५ ,६ अनन्त " "
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