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(५४३)
थोकड संग्रह।
* जल्दी मोक्ष जाने के २३ बोल *
· १ मोक्ष की अभिलाषा रखने से २ उग्र तपश्चर्या करने से ३ गुरु मुख द्वारा सूत्र सिद्धान्त सुनने से ४ आगम सुन कर वैसी ही प्रवृत्ति करने से ५ पाँच इन्द्रियों को दमन करने से ६ छकाय जीवों की रक्षा करने से ७ भोजन करने के समय साधु साधियों की भावना भावने से ८ सज्ञान सीखो व सिखाने से हनियाणा रहित एक कोटी से व्रत में रहना हुवा नव कोटी से व्रत प्रत्याख्यान करने से १० दश प्रकार की वैयावृत्य करने से ११ कपाय को पतले काके निमन करने से १२ शाक्त होते हुवे क्षमा करने से १३ लगे हुवे पापों की तुरन्त आलोचना करने से १४ लिये हुवे व्रतों को निर्मल पालने से १५ अभयदान सुपात्र दान देने से १६ शुद्र मन से शीयल (ब्रह्मचर्य ) पालने से १७ निवेद्य ( पाप रहित ) मधुर वचन बोलने से १८ ग्रहण किये हुवे संयम भार को अखण्ड पालने से १६ धर्म-शुक्न ध्यान ध्याने से २० हर महीने ६-६ पोषर करने से २१ दोनों समय आवश्यक ( प्रतिक्रमण ) करने से २२ पिछली रात्रि में धर्म जागरण करते हुवे तीन मनोरथादि चितवने से २३ मृत्यु समय आलोचनादि से शुद्ध होकर समाधि पण्डित मरण मरने से।
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