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( ५४२)
· थोकडा संग्रह।
माय', लोभ, राग, द्वेष ) का नाश करे ३५ इन्द्रियों को जीते (जितन्द्रिय होवे)।
इन ३५ गुणों को धारण करने वाला ही नैतिक धार्मिक जैन जीवन के योग्य हो सकता है।
* इति मार्गानुसारी के ३५ गुण सम्पूर्ण *
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