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________________ ( ५०८ ) १४८ केवल १४६ संयती १५० असंयती ** 19 " १६५ १६६ सिद्ध "" "" १५१ सादि सांत १५२ संयता संयत १५३ नोसंयत नोअसंयत ० १५४ सामायिक चारित्र १ समय १५५ छेदोपस्थानीय अन्तर्मुहूर्त १५६ परिहार विशुद्ध,,, १८ माह 17 १५७ सूक्ष्म संपराय,, १ समय १५८ यथाख्यात १५६ साकार उपयोग १६० अनाकार 39 १६१ आहारक छद्मस्थ २ समय न्यून १६२ केवली अन्तर्मुहूर्त १६३ अनाहारी छद्मस्थ १ समय 19 १६४ केवलीसयोगी ३ 19 ܕܕ Jain Education International 99 १ समय १६७ भाषक १६८ श्रभाषक सिद्ध १६६" संसारी अं० मु० 99 सादि अनन्त देश न्यून क्रोड़ पूर्व अ. अ, आंस, सा.सां. थोकडा संग्रह | अनन्त काल (अर्थ पु.) देशन्यून क्रोड़ पूर्व सादि अनंत देशन्यून कोड़ पूर्व " 99 अन्तर्मुहूर्त देशन्यून क्रोड़ पूर्व अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त 99 असंख्यातो काल देशन्यून क्रोड़ पूर्व २ समय ३ 99 " अयोगी ५ हुख अक्षर उच्चारण काल १ समय सादि अनन्त अन्तर्मुहूर्त सादि अनन्त अन्तर्मुहूर्त अनन्त काल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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