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काय स्थिति।
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त
७० से ८६ नं. ५३ से
६६ के अपर्याप्ता अंतर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त ८७ से ६३ समुच्चय सूक्ष्म
पृ०,१०,ते,०वा०,५०,
निगोद का पर्याप्ता , ६४ से ६७ बादर पृ०, १०,
वा०, और प्र. बा. वन. का पयोप्ता
सं हजार वर्ष ६८ बादर तेउ का पर्याप्ता, सं. अहोरात्रि ६६ समुच्चय बादर , , प्र. सो सागर साधिक
अंत. मु. १०० सम्मुच्य निगोद ., , अन्त मुहूर्त २०१ बादर १०२ संयोगी
. अ. अनं, अ. सांत १०३ मन योगी १ समय अन्तर्मुहूते १०४ वचन योगी १०५ काय , अन्तमहते अनन्त काल (वन०) १०६ अयोगी
सादि अनन्त. १०७ सवेदी
. अ.अ.,अ.सा.सा.सां., १०८ स्त्री वेद १ समय ११० पल्य० प्र. क्रोड़
पूर्व अधिक १०६ पुरुष वेद अन्तपुहूर्त प्रत्यक सो सागर
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