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आठ आत्मा का विचार |
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ॐ
* आठ आत्मा का विचार
( ४६१ )
शिष्य पूछता है कि हे भगवन् ! संग्रह नय के मत से आत्मा एक ही स्वरुपी कहने में आया है जब कि अन्य मत से आत्मा के भिन्न २ प्रकार कहे जाते हैं । क्या आत्मा के अलग २ भेद हैं ? यदि होवे तो कितने १
गुरु- हे शिष्य ! भगवतीजी का अभिप्राय देखते आत्मा तो आत्मा ही है, वह आत्मा स्वशक्ति के कारण एक ही रीति से एक ही स्वरुपी है समान प्रदेशी और समान गुणी है अतः निश्चय से एक ही भेद कहने में आता है परन्तु व्यवहार नय के मत से कितने कारणों से आत्मा आठ मानी जाती है । जैसे- १ द्रव्य आत्मा २ कषाय श्रात्मा ३ योग आत्मा ४ उपयोग श्रात्मा ५ ज्ञान आत्मा ६ दर्शन आत्मा ७ चारित्र आत्मा ८ वीर्य आत्मा । एवं आठ गुणों के कारण से आत्मा आठ कहलाती हैं और एक दूसरी के साथ मिल जाने से इस के अनेक विकल्प भेद होते हैं जैसा कि आगे के यन्त्र में बताया गया है ।
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