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थोकडा संग्रह।
देव लोक के देवता मृदंग के आकार वत् देखे, नवनीयवक के देवता फूलों की चंगेरी समान देखे, और अनुत्तर विमान के देवता कुंवारी कन्या की कंचुकी समान देखे ।
४ाभ्यन्तर-पाय द्वार-नेरिये व देव प्राभ्यन्तर देखे, तियच बाह्य देखे मनुष्य प्राभ्यन्तर और ब ह्य दोनों दखे कारण कि तीर्थकरों को अवधि ज्ञान जन्म से ही होता है।
५ देश और सर्व थकी-नारकी,देवता और तिर्यच देश थकी और मनुष्य सर्व थकी।
६ अनुगामी और अनानुगामी-नारकी देवता का अवधि ज्ञान अनुगामी ( अर्थात् माथ २ रहने वाला) अवधि ज्ञान होता है । तिर्यच और मनुष्य का अनुगामी तथा अनानुगामी दोनों प्रकार का होता है।
७ हायमान वर्धमान और ८ अवठिया द्वार:नारकी देवता का अवधि ज्ञान अवठीया होवे ( न तो घटे
और न बढे, उतना ही रहता है ) मनुष्य और तिर्यंच का हायमान, वर्धमान तथा अबठीया एवं तीनों प्रकार का अवधि ज्ञान होता है। ___-१० पड़वाई और अपड़वाई द्वारः-नारकी देवता का अवधि ज्ञान अपड़वाई होता है और मनुष्य व तिर्यच का अवधि ज्ञान पड़वाई तथा दोनों प्रकार का होता है।
॥ इति अवधि पद सम्पूर्ण ॥
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