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थोकडा संग्रह।
एकवीशवां, छब्बीशवां, और सत्तावीशा एवं दश नक्षत्रों में से अमुक नक्षत्र चन्द्र के साथ योग जोड़ कर गमन करते होवें व उस दिन गुरुवार होवे तब उस समय मिथ्याभिमान दूर कर के विनय भक्ति पूर्वक गुरुवन्दन करे व
आज्ञा प्राप्त करके शास्त्राध्ययन करने में तथा वांचन लेने में प्रवृत होवे ऐसा करने से सत्वर ज्ञान वृद्धि होती है परन्तु याद रखना चाहिये कि छः वार छोड कर गुरुवार लेवे दो अष्टमी, दो चाउदश, पूर्णिमा, अमावस्या और दो एकम ये सर्व तिथि छोड़ कर शेष अन्य तिथियों में अच्छा चौघडिया देख कर सूर्य-गमन में प्रारम्भ करे। - विशेष में गणीपद ( प्राचार्य ), वाचक पद ( उपाध्याय ) अथवा बड़ी दीक्षा देने के शुभ प्रसंग में दो चोथ, दो छ, दो अष्टमी, दो नवमी, दो बारस, दो चउदश, पूर्णिमा, तथा अमावस्या आदि चौदह तिथियां निषेव हैं । इन के सिवाय की अन्य तिथि अथवा वार, नक्षत्र योग्य है । ऐसे काल के लिए गणी विधि प्रकरण ग्रंथ का न्याय है । अष्टमी को प्रारम्भ करने पर पढाने वाला मरे अथवा वियोग पड़े अमावस्या के दिन प्रारम्भ करने पर दोनों मरे और एकम के दिन प्रारम्भ करने से विद्या की नास्ति होवे।ऐसा समझ कर तिथिवार नक्षत्र चौघडिया देख कर गुरु सम्मुख ज्ञान लेना चाहिये। यह श्रेय का कारण है। - इति नक्षत्र और विदेश गमन सम्पूर्ण के
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