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श्वासोश्वास ।
(४१७)
* श्वासोश्वास सूत्र श्री पनवणाजी के पद सातवे में श्वासोश्वास का थोकड़ा चला है उसमें गौतम स्वामी वीर प्रभु से पूछते हैं कि हे भगवन ! नेरिय और देवता किस प्रकार श्वासो. श्वास लेते हैं ? वीर प्रभु उत्तर देते हैं कि हे गौतम ! नारकी का जीव निरन्तर धमण के समान श्वासोश्वास लेता है असुर कुमार का देवता जघन्य सात थोक उत्कृष्ट एक पक्ष जाजेरा श्व सो श्वस लेते हैं वाण व्यन्तर और नवनिकाय के देवता जघन्य सात थोक उत्कृष्ट प्रत्येक मुहूर्त में ज्योतिषी ज० उ० प्रत्येक मुहूर्त में पहला देवलोक का जघन्य प्रत्येक मुहूते में उ० दो पक्ष में दूसरे देवलोक का ज० प्रत्येक मुहूते जरा उ० दो पक्ष जाजरा तीसरे देवलोक का ज० दो पक्ष में उ० सात पक्ष में चौथे देवलोक का ज० दो पक्ष जाजेरा उ० सात पक्ष जाजेरा पांचवें दवलोक का ज० सात पक्ष में उ० दश पच में छहे देवलोक का ज० दश पक्ष में उ० चौदह पक्ष में सातवें देवलोक का ज० चौदह पक्ष में उ० सतरह पक्ष में आठवें देवलोक का ज. सत्तरह पक्ष में उ० अट्ठारह पक्ष में नववे देवलोक का ज० अठारहे पक्ष में उ० उन्नीश पक्ष में दश देवलोक का ज० उन्नश पक्ष में उ० वीश में इग्यारहवें देवलोक का ज० वीश पक्ष में उ० एकवीश पक्ष में बारहवें देवलोक का
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