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________________ (३०) थोकडा संग्रह। छः काय के बोल छ काय के नाम-१ इन्द्र (इन्दी) स्थावर, २ ब्रह्म ( बंभी) स्थावर, ३ शिल्प ( सप्पी)स्थावर, ४ सुमति ( समिति ) स्थावर, ५ प्रजापति ( पयावच्च ) स्थावर, ६ ६ जंगम स्थावर । छकाय के गोत्र-१'पृथ्वी काय, २ 'अपकाय, ३ तेजस काय,४ वायु काय, ५ 'वनस्पति काय, ६'त्रस काय । पृथ्वी काय पृथ्वी काय के दो भेद-१ सूक्ष्म २ बादर(स्थूल)। सूक्ष्म पृथ्वी काय:-सब लोक में भरे हुवे हैं जो हनने से हनाय नहीं, मारने से मरे नहीं, अग्नि में जले नहीं, जल में डूबे नहीं, आंखों से दीखे नहीं व जिसके दो टुकड़े होवे नहीं उसे सूक्ष्म पृथ्वी काय कहते हैं। बादर (स्थूल ) पृथ्वी काय:-लोक के देश भाग में भरे हुवे हैं जो हनने से हनाय, मारने से मरे, अग्निमें जले, जल में डूबे, आंखों से दीखे व जिसके दो टुकड़े हो जावे १ मिट्टी २ जल ३ अग्नि ४ पवन ५ कन्द मूल फलादि ६ हलन चलन करने वाले प्राणि (जीव) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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