________________
( ३५८ )
थोकडा संग्रह |
अभ्यास करते हुए गुरुषों को अत्यंत संतोष पैदा करे क्योंकि अपना पाठ बराबर याद करता रहे और उसे याद करने पर फिर दूसरी बार और तीसरी बार इस तरह थोडा थोड़ा लेकर पश्चात् बहुश्रुत हो कर मिथ्यात्वी लोगों का मान मर्दन करे | यह श्रादरने योग्य है ।
१२ गाय - इसके दो प्रकार | प्रथम प्रकार-जैसे दूधवती गाय को एक शेठ किसी अपने पड़ोसी को सौंप कर अन्य गांव जावे पड़ोसी घांस पानी प्रमुख बराबर गाय को नहीं देवे जिससे गाय भूख तृषा से पीडित होकर दूध में सूखने लग जाती है व दुःखी हो जाती है वैसे ही एकेक श्रोता (अविनीत ) आहार पानी प्रमुख वैयावच्च नहीं करने से गुर्वेदिक की देह ग्लानि पावे व जिससे सूत्रादिक में घाटा पड़ने लगजाता है तथा अपयश के भागी होते हैं ।
दूसरा प्रकार - एक सेठ पड़ोसी को दूधवती गाय सौंप कर गांव गया पड़ोसी के घांस पानी प्रमुख अच्छी तरह देने से दूध में वृद्धि होने लगी व वो कीर्ति का भागी हुवा वैसे एकेक विनीत श्रोता ( शिष्य ) गुर्वादिक की अहार पानी प्रमुख वैय्यावच्च विधि पूर्वक करके गुर्वादिक को साता उपजावे जिससे ज्ञान में वृद्धि होवे व साथ २ उसको भी यश मिले यह श्रोता आदरखा योग्य है ।
१३ भेरी - इसके दो प्रकार - प्रथम प्रकार - मेरी
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org