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थोकडा संग्रह।
वैसे विनीत शिष्य व श्रोता व्याख्यानादिक नम्रता तथा शान्त रस से सुने, अन्य सभाजनों को सुनने देवे । ऐसे श्रोता आदरनीय है। ____मसग-इस के दो भेद प्रथम मसग अर्थात् चमड़े की कोथली में जब हवा भरी हुई होती है तब अत्यन्त फूली हुई दिखती है परन्तु तृषा शमाये नहीं हवा निकल जाने पर खाली हो जाती है वैसे एकेक श्रीता अभिमान रूप वायु के कारण ज्ञानी वत् तहाक मारे परन्तु अपनी तथा अन्य की आत्मा को शान्ति पहुंचावे नहीं ऐसे श्रोता छोड़ने योग्य है।
६ दूसरा प्रकार-मसग (मच्छर नामक जन्तु) अन्य को चटका मार कर परिताप उपजावे परन्तु गुण नहीं करे वरन् नुकसान उत्पन्न करे वैसे एकेक कुश्रोता गुर्वादिक को-ज्ञान अभ्यास कराने के समय अत्यन्त परिश्रम देवे तथा कुवचन रूप चटका मारे । परंतु वैश्यावृत्य प्रमुख कुछ भी न करे और मनमें असमाधि पैदा करे, यह छोड़ने योग्य है।
हजोंक इसके भेद २ हैं । पहिला जोंक जन्तु गाय वगैरह के स्तन में लग जावे तब खून को पिये दूध को को नहीं पिये । इसी तरह से कोई अविनयी कुशिष्य श्रोता आचार्यदिक के पास रहता हुआ उनके दोषों को देखे परंतु क्षमादिक गुणों को ग्रहण नहीं करे यह भी त्यागने योग्य है।
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