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व वन बोल।
(३३७)
वीर्य १, दृष्टि २. भव्य अभव्य २, दण्डक १ त्रिइन्द्रिय का, पक्ष २
५ चौरिन्द्रिय में-भाव ३, आत्मा ७, लब्धि ५ वोर्य १, दृष्टि २, भव्य अभव्य २, दण्डक १ चौरिन्द्रिय का, पक्ष २
६ पंचेन्द्रिय में-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक १६..१३ देवता का, १ नारकी का, १ मनुष्य का एक तिर्यंच का एवं १६ पक्ष २।
७ अनिन्द्रिय में-भाव ३-उदय, क्षायक, परिणामिक आत्मा ७ (कपाय छोड़कर ), लब्धि ५, वीर्य पंडित वीर्य, दृष्टि १ सम्यक दृष्टि, भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल।
४सकाय के भेद १सकाय में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३ दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक २४, पक्ष २। - २ पृथ्वी काय ३ अपकाय ४ तेजस् काय.. . ५ वायु काय तथा वनस्पति काय में--भाव ३.. क्षयोपशम, परिणामिक; आत्मा ६ ( ज्ञान चारित्र छोड़ कर); लब्धि ५, वीये १, दृष्टि २, भव्य अभव्य २, दण्डक २ अपना २, पक्ष २।
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