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बावन बोल ।
(३३५)
बावन बोल पहेला द्वार-समुच्चय जीव का।
१ समुच्चय जीव में-भाव ५, उदय, उपशम, दायक, क्षयोपशम, परिणामिक आत्मा ८ लब्धि ५ वीर्य ३ दृष्टि ३ भव्य २ दण्डक २४ पक्ष २ ।
१ गति द्वार के ८ भेद १ नारकी में-भाव ५, आत्मा ७, (चारित्र छोड़ कर ) लब्धि ५, वीर्य १ बाल वीय, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक १ नारकी का, पक्ष २ ।
१ तिर्यंच में भाव ५, आत्मा ७ (चारित्र छोड़ कर) लब्धि ५, वीय १-बाल वीर्य व बाल पांडत वीर्य डाष्ट ३, भव्य अभव्य २, दण्डक :-पांच स्थावर, तीन विकले. इन्द्रिय, एक तिर्यच पंचेन्द्रिय, पक्ष २।
तिर्यचनी में-भाव ५, आत्मा ७ ऊपरवत, लब्धि ५, वीर्य दो दृष्टि ३ भव्य अभव्य २ दण्डक १ पक्ष दो।
४ मनुष्य में-भाव ५, आत्मा ८ लब्धि ५ वीये ३ दृष्टि ३ भव्य अभव्य २, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष २। ' मनुष्यनी में:- भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीय ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक १ पक्ष ।
६ देवता में-भाव ५, पात्मा ७ (बारित्र छोड़ कर)
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