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________________ ( ३१०) थोकडा संग्रह। * बड़ा बांसठीया * गाथा जीव गई इन्दिय काय जोग वेदेय कसाय लेस्सा ; सम्मत नाण सण संजय उवोग आहारे १ भासग परित पज्जत सुहम सन्नी भवाथ्थय ; चरिम तेसि पयाणं, बासठीय होई नायव्वा २ एवं २१ द्वार की दो गाथा इसका विस्तार:१ समुच्चय जीव द्वार का एक भेद २ गति द्वार के पाठ भेद १ नरक की गति २ तिर्यच की गति ३ तियचनी की गति ४ मनुष्य की गति ५ मनुष्यानी की गति ६ देव की गति ७ देवाङ्गना की गति ८ सिद्ध की गति । ३ इन्द्रिय द्वार के सात भेद १ सइन्द्रिय २ एकेन्द्रिय ३ इंद्रिय ४ त्रिइंद्रिय ५ चौरिद्रिय ६पंचेंद्रिय ७ अनिद्रिय ।। ४ काय द्वार के पाठ बोल १ सकाय २ पृथ्वी काय ३ अपकाय ४ तेजसू काय वायु काय ६ वनस्पति काय ७ त्रस काय ८ अकाय । ५ योग द्वार के पांच बोल १ सयोग २ मन योग ३ बचन योग ४ काय योग ५ अयोग। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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