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थोकडा संग्रह।
के अन्दर नाव रूप हो जाता है ४ दण्ड रत्न-चैताट्य पर्वत के दोनों गुफाओं के द्वार खोलता है ५ खङ्ग रत्नशत्रु को मारता है ६ मणि रत्न-हस्ति रत्न के मस्तक पर रखने से प्रकाश करता है ७ कांकण्य (कांगनी ) रत्नगुफाओं में एकर योजन के अन्तर पर धनुष्य के गोलाकार घिसने से सूर्य समान प्रकाश करता है।
सात पंचेन्द्रिय रत्न १ सेनापति रत्न-देशों को विजय करते हैं २ गाथापति रत्न-चौवीश प्रकार का धान्य उत्पन्न करते हैं ३ वार्षिक ( बढई ) रत्न-४२ भूमि महल सड़क पुल आदि निर्माण करते हैं ४ पुरोहित रत्न -लगे हुवे घावों को ठीक करते विघ्न को दूर करते, शांति पाठ पढ़ते व कथा सुनाते हैं ५ स्त्री रत्न-विषय के उपभोग में काम आती ६-७ गज रत्न व अश्व रत्न-ये दोनों सवारी में काम आते ।
__ चौदह रत्नों का उत्पति स्थान
१ चक्र रत्न २ छत्र रत्न ३ दण्ड रत्न ४ खङ्ग रत्न ये चार रत्न चक्रवर्ती की आयुध शाला में उत्पन्न होते हैं।
१ चर्म रत्न २ मणि रत्न ३ काकण्य ( कांगनी ) ये तीन रत्न लक्ष्मी के भण्डार में उत्पन्न होते हैं।
१ सेनापति रत्न २ गाथापति रत्न ३ वार्धिक रत्न ४ पुरोहित रत्न ये चार रत चक्रवर्ती के नगर में उत्पन्न होते हैं।
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