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थोकडा संग्रह।
कोई दूसरा निकालने का प्रयास करे तो स्वयं इा समिति शोध कर निकले।
१५ प्रतिमा धारी साधु के पांव में यदि कंटक प्रमुख लगा होवे तो उन्हें निकालना नहीं कल्पे ।
१६ प्रतिमा धारी साधु के आंख में छोटे जीव तथा नाना बीज व रज प्रमुख गिरे तो उन्हें निकालना नहीं कल्पे, इर्या समिति से चलना कल्पे।
१७ प्रतिमा धारी साधु को सूर्यास्त होने के बाद एक पांव भी आगे चलना नहीं कल्पे । प्रति लेखन करने के समय तक विहार करे ।
१८ प्रतिमा धारी साधु को सचित्त पृथ्वी पर सोना बैठना व थोड़ी निद्रा भी निकालना नहीं कल्पे, और पहिले देखे हुवे स्थानक पर उचार प्रमुख परिठवना कल्पे ।
१६ साचत्त रज से यदि पांव प्रमुख भरे हुवे हों तो ऐसे शरीर से गृहस्थ के घर पर गौचरी जाना नहीं कन्ये ।
२० प्रतिमा धारी साधु को प्राशुक शीतल तथा उष्ण जल से हाथ, पांव, कान, नाक,आंख प्रमुख एक वार धोना वारंवार धोना नहीं कल्पे, केवल अशुचि से भरे हुवे तथा भोजन से भरे हुवे शरीर के अङ्ग धोना कल्पे अधिक नहीं।
२१ प्रतिमा धारी साधु घोड़ा, वृषभ, हाथी, पाड़ा, वराह (सूअर), श्वान, वाघ इत्यादिक दुष्ट जीव सामने
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