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छः पारों का वर्णन ।
( १७१ )
धर्म पर प्रास्ता ( श्रद्धा) रखेगा वह जीव इस भवसागर से पार उतर कर परम सुख को प्राप्त करे।।।
॥ इति छैः पारा का भाव सम्पूर्ण ॥
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