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________________ नव तत्त्व । (३) जीव के चार भेद-१ नारकी, २ तिर्यञ्च, ३मनुष्य, ४ देव, अथवा १ चक्षु दर्शनी, २ अचच दर्शनी, ३ अवधि दर्शनी, ४ केवल दर्शनी।। जीव के पांच भेद-१ एकेन्द्रिय,२बेन्द्रिय,३तेन्द्रिय, ४ चौरिन्द्रिय, ५पंचेन्द्रिय, अथवा १ संयोगी, २ मन योगी, ३ वचन योगी, ४ काय योगी, ५ अयोगी। जीव के छः भेद-१ पृथ्वी काय, २ अपकाय, ३तेजस्काय, ४ वायु काय, ५ वनस्पति काय, ६ त्रस काय, अथवा १ सकषायी, २ क्रोध कषायी, ३ मान कपायी, ४ माया कषायी, ५ लोभ कपायी, ६ अकषायी। ___ जीव के सात भेद-१ नारकी, २ तिर्यच, ३ तिर्यवाणी, ४ मनुष्य, ५ मनुष्याणी ६ देव, ७ देवांगना। .. जीव के आठ भेद-१ मलेश्यी, २ कृष्ण लेश्यी, ३ नील लेश्यी, ४ कापोत लेश्यी, ५ तेजो लेश्यी, ६ पद्म लेश्यी, ७ शुक्ल लेश्यी, ८ अलेश्यी । , जीव के नव भेद-१ पृथ्वी काय, २ अप काय, ३ तेजस्काय, ४ वायु काय, ५ वनस्पति काय, ६ बेन्द्रिय, ७ तेन्द्रिय, ८ चौरिन्द्रिय, ६ पञ्चेन्द्रिय ।। जीव के दश भेद-१ एकेन्द्रिय, २ बेइन्द्रिय, ३ त्री-इन्द्रिय, ४ चौइन्द्रिय, ५ पञ्चेन्द्रिय, इन पाँचों के अपर्याप्ता व पर्याप्ता ये दश । • जीव के इग्यारे भेद-१ एकेन्द्रिय, २ बेन्द्रिय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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