________________
सचारित्र-चूडामणी, कर्मसाहित्य-निष्णात, मरुधर- भूमिभूषण, सुविशालगच्छ-प्रणेता, पूज्यपाद् आचार्य देवेश श्रीमद् विजय
प्रेमसूरीश्वरजी महाराजा के चरणारविंद में कोटिशः वंदनावलि...
संपूर्ण चित्र आवश्यक क्रिया साधना
mantra
करुणावरुणागारं, मोक्षमार्गस्य देशकम् । रक्षकं सत्यमार्गस्य, रामचन्द्रं गुरुं नुमः ॥
पांच साचारमय
पाचारमबहावयक
क्रिया साधना
क
नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत
समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें.
भारतवर्षजवाहिर, व्याख्यान वाचस्पति, सुविशुद्ध-देशना-दक्ष, सुविशाल-गच्छाधिपति, परमशासन प्रभावक, पूज्यपाद् आचार्य देवेश श्रीमद् विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा के करकमल में समर्पण।
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org