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संशयितश्लोकाः। प्रियसखि विपद्दण्डव्रातप्रपातपरंपरा
परिचयचले चिन्ताचक्रे निधाय विधिः खलः। मृदमिव बलात् पिण्डीकृत्य प्रगल्भकुलालवद् __ भ्रमयति मनो नो जानीमः किमत्र विधास्यति ॥ २७ ॥ प्रीणाति यः सुचरितैः पितरं स पुत्रो ___ यद् भर्तुरेव हितमिच्छति तत् कलत्रम् । तन् मित्रमापदि सुखे च समक्रियं यद् __ एतत् त्रयं जगति पुण्यकृतो लभन्ते ॥ २७९ ॥ प्रोद्यत्प्रौढप्रियङ्गुद्युतिभृति विदलत्कुन्दमाद्यविरेफे
काले प्रालेयवातप्रबलविकसितोदाममन्दारदाम्नि ।
278 TV, N} Om, in CFT I WIY2.s, and BVB2, Jodhpuri, BORI 326, NS1.2, Adyar XXVIII--56. NSS V122 (extra), Srngeri 309 V99.--.) E2 J2.3 XY-TI. C1-25112- प्रियसख: Th प्रियनिज-. BF.5 -दंडप्रांत-: Eo.2.40.5-दंड-; Fa x Y1.4-3 T GM -दंडाघात-( घाताद; G1 खात.) (for -दण्डतात-). BY Ms-प्रभावEtc.st J3 -प्रताप-;X -विघात- Yo Ti GB -प्रवात-; G1 M1-3 -प्रघात; G+ -प्रतप्त- (for -प्रपात.). -") Gat -परिचल- (for -परिचय-). F Y1.5.8 T G1.5 M बले; F5 -वते;X2 'चलचू; Y1-जले (for -चले). चिंतावक्रे. F Yit विधाय; P+ [s]भिधाय; J1 निराय: (for निधाय). JI-सविधिः; Jat निधिः (for विधिः). Est FYs खल; F2 J1 किल; G4 खलं. - ) F3 च बलात् (for बलात्). G+ बंधीकृत्य. T3 प्रचंड- (for प्रगल्भ-). -d) D भ्रमयसि. BF2 जनं; P5 तनो (for मनो). A2 G+ विधास्यते; J विधिनास्यति.
___BIS. 4363 (1931) Bhartr.in Schiefner and Weber p. 25%; Sp. 451 (Vijjaka); SRB. p. 93.86 (Vijjaki); SBII. 3137. SHV. f. 64a. 667, 79b. 63 (Vijjaka).
279 N} Om. in X. -- ") F1.3 JW Y6-8 T G1.4 M यः प्रीणयेत: Y2 यः प्रीतयेत्. I Y: स्वचरितैः; It (hy corr.) स धन्यो;J सुपुत्रो (for स पुत्रो).-°) Y2 सुखम् (for हितम्). - ) J3 Ys यन्मित्रम्. W2.4 सुखं च; T2 सुखेपि. A2.3 (both doubtful); B1 समक्रियं स्याद; Eot.it समं क्रियं यद; Hit. 2.st यदेकरूपं; J3 G1 M3 समप्रियं यद् (J. तद् ). Y समक्रियं यदि; Y3 Gat समक्रियं तद् -- “) W4 तत्तत्रयं.
___BIS. 4363 (1926) Bhartr. cd. Bohl. 2. 58. lith. ed. I. 67, II. 68. Galan 70, Subhash. 306; SRB. p. 50.92%B SBI. 2929%B SRH.163. 160. (Vallabha); SRK. p. 18.74 (ST.) ST. 36. b; SA. 36. 11 (order cabd). Vs. 811; SHV. app. I. f. 1la. 13; SSD. 2. f. 119b.
280 {Ś} Om. in W, and Harilal's lith. ed. Ya lost on missing fol. — a) Estप्रौद्यत्प्रौढ-J1 प्रौढग्रोद्य-:G3.3 प्रोद्यदाद- F2 -द्यतिधति: B2 सरसं:D विर Y.GMi.2 विलसत;X Y1.3-6. S T G2-M3-5 विकसत्-. B1 कुंकुमोद्यदु-F2-कुंकुमार्य; Fat.v. -कुंकुमाढ्य-; F1 कुंकुमाद्यन्. F2 द्विरेफ; X -द्विरेफा; Gat -धुरेफे. -') D कालपालेयT? -वाता- (for -वात-). Y प्रचलितललित- Ao-2-प्रचुर- Eo.1 (orig.). 20.5 F1.4 H J Y1.4-6 T GM प्रचल-3; F-प्रचय- (for प्रबल-). JX Y1.4-4 T1.8 GNM -विलसित-. C
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