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संशयित श्लोकाः ।
छिन्नोऽपि रोहति तरुः क्षीणोऽप्युपचीयते पुनश् चन्द्रः । इति - विमृशन्तः सन्तः संतप्यन्ते न विधुरेषु ॥ २४६ ॥ जल्पन्ति सार्धमन्यने पश्यन्त्यन्यं सविभ्रमाः ।
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चिन्तयन्त्यन्यं प्रियः को नाम योषिताम् ॥ २४७ ॥ - जातः कूर्मः स एकः पृथुभुवनभरायार्पितं येन पृष्ठं श्लाघ्यं जन्म ध्रुवस्य भ्रमति नियमितं यत्र तेजखिचक्रम् । संजातव्यर्थ पक्षाः परहित करणे नोपरिष्टान् न चाधो ब्रह्माण्डोदुम्बरान्तर्मशकवदपरे जन्तवो जातनष्टाः ॥ २४८ ॥
246_{N} Om, in J3 X Y 1.2.1.8 T3G M Sxngeri 309 Mysore 1642 and Jodhpur 1. - " ) F 2 अपचीयते Rs चंद्रः J शनैश्चंद्र, W3. + लोके (for पुनश् चन्द्रः ). - ९ ) C विमुषंतः. - * ) B1 संतप्येरन्. C D Eo. 1.3.5 I W1 ते विपदा ( W1 °दि); E2 H विधुरेपि; 12 व विपदा ; Ji सत्सु विदुरेषु; J2 विधुरेषु सत्सु; W2 - + विलुता लोके; Ys विपदि लोकेषु ; Y4.6 mily; Yo विधिरेषः ; T1. 2 विश्ऋथेषु लोकेषु (for विधुरेषु ).
BIS. 2314 (925) Bhartr. ed. Bohl. 2. 84. Haeb. 80. lith ed. I and III. 86, II. 87. Galan 85. Samskrtapathopa. 62. cf. Galan varr. 60; SRB. p. 47. 93; SRK. p. 19. 80; SSD. 2. f. 99b.
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247 {Ś} Om.in E NS 1 Adyar XXVIII-M-56. - 2 ) X 1 जलती ; X2 जल्पलती; T2. a ज्वलंति (for जल्पन्ति ). Y 3. 7 सार्थम् . - ' ) W पश्यंसत्यं ; Y1AB पश्यत्यन्यं; M4.6 विषत्यन्यं. W2. 4 सविभ्रमः ; Y1 (pr. text ) M3 सविभ्रमा; G+ ससंभ्रमाः. . * ) B2CHI c J F9–6 Y T G हृद्गतं (1+ °ता); M हृद्गदं DF's It X2 Y 1-2 चिंतयत्यन्यं. - 2) C प्रयः J1 स्त्रियः. Y1 योषितः.
BIS, 2371 (951) Bhartr. ed. Boll. 1. 81. Hasb 84. lith ed. II. 61. Vrddhacân. 16. 2. Pañic ed. Koseg. I. 151. od Orp. 111. ed. Bomb. 135. Vikramaca. 34. Subhash. 23; Śp. 1497; SRE. p. 348. 5 ( Vyasa ) ; SBH. 2771 ( Sri Vyasamuni); SRH. 54. 2 (Prataparudriya); SRK. p. 115. 13 (Sphuțaśloka); SU. 404; SSD 4. f. 20a; SSV. 1401; SLP. 4. 101 (Bh.).
248 { V, N } Om in ACE (Eo. 25 extra ) F5 W BORI 329 Punjab 2101 BU Jodhpur 1 NS1-3 Adyar XXII-B-10 and Mysore 1642. - 4 ) E2 एषः ; Xt ra: (for एकः ). F1 भरोत्सर्पिनं; M1 भरायार्पितो. I कष्टं; M पृष्ठ: - 2) Y1A भवति (for भ्रमति ) D Y1 G # येन ( for यत्र ). ( ) F 4 संयाता ; It उत्पन्न - ; X संजाता ( for संजात ). G1 M3 करणं (for करणे). Y3 नोपरिष्ठादधो वा Y1 °रिष्ठान्न ; Y: °रिष्टान; M4.5 'विष्टान (for °रिष्टान). M. 6 पंथा: ; M3 -याधो. – 2 ) J1.3 X8 Gat ब्रह्मांडौदुम्बरांतर् (X8 "ते); X 'डोदुबरांते. J 1 इव र (for -वदपरे ). E2 Y 1. 3 प्राणिनो जातनष्टाः (E2 निष्टाः ); X प्राणिनः संचरंति.
BIS. 2377 (956) Bharty. lith ed. I. 3. 94, II. 98, III. 91. Schiefnor and Weber p. 25; Sp. 4154 (Bh.); SRB. p. 98. 11; SBH, 1033; SSV. 554.
१३ भ. सु.
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