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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रह
इत्युत्पन्नविकल्प जल्पमुखरैः संभाष्यमाणा जनैर्
न क्रुद्धाः पथि नैव तुष्टमनसो यान्ति स्वयं योगिनः ॥ २४५ ॥ चुम्बन्तो गण्डभित्तीरलकवति मुखे सीत्कृतान्यादधाना क्षः केषु स्तनभरपुलकोद्भेदमापादयन्तः । ऊरूना कम्पयन्तः पृथुजघनतटाच् छंसयन्तोंऽशुकानि
व्यक्तं कान्ताजनानां विटचरितभृतः शैशिरा वान्ति वाताः॥ २४४ ॥ चेतश् चिन्तय मा रमां सकृदिमामस्थायिनीमास्थया
भूपालभ्रुकुटीकुटीविहरणव्यापारपण्याङ्गनाम् । कन्थाकञ्चुकिनः प्रविश्य भवनद्वाराणि वाराणसी
रथ्यापतिषु पाणिपात्रपतितां भिक्षामपेक्षामहे ॥ २४५ ॥
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-पक्ष- (for - जल्प ). A0-2F1.4IH संभाव्यमाना (Hic.v.ac.v. as in text ); D F2 J X Y1. 3–6. 3T G2, 3.5 M3 आभाष्यमाणा ( F2 Y3 T2 णो; J: गैर; T3 णं ) ; Es. 4 F3M 1. 2 संभाष्यमाणो ( E3. 'नो ); Y2 आकीर्यमाणो; G+ आकृष्यमाणा I2J1 जनो (for जनैर् ). - d ) F2.5 Y2 नो; Y3 सं- (for न ). F2 क्रुद्धो ; X D पथि चैव; क्रुद्धःM+ पथिकैः C सु. हृष्ट( for तुष्ट ). A3 गच्छति ते; Eo (m.v. as in text ). 5 and Ec यास्यंति ते.
BIS. 2225 (889) Bhartr. lith. ed. I. 3. 98, II. 54. Galan 91. Schiefner and Wober. p. 24. Subhash. 284 ; SM. 910; SSV. 892; SSD. 4. 1. 26.
244 _ {Ś} Om. in B2 ( wrongly ) C D M43 Mysore 582 and Harilal's lith. ed. Y2 lost on missing fol. (a) A Ec I Y3 गलभित्तीर्; F3 गंडभित्तीन्. A E14.5 X 'शीकृतान्या (A3ना ); Ft. v. सीत्कृतं ह्या ; Y1 स्वीत्कृतान्या ; Y3 संसीत्कृतान्या . F2 IeXY7 [आ]ददाना. b) As Eo. ot वक्षस्यूत्-; D1 Gst वक्षस्तत्; E1. 3. 1 Y7 वक्षस्युत् ; F2. 3 वक्षःसत्; Fs वक्षःस्वा 43 - कंचनेषु; B1-कुंकुमांक-; Y: -कंचुकीषु. G1 स्तनपुट X - [ 3 ]खंडम् (for - [ उ ] द्भेदम् ). F1 Y3 आसादयंतः. - °) A2 W1 ऊरूणां; F1 हस्ताना - ; F2 ऊरूनोत्; Fat.v. गात्राण्युत्-. G1 - तटी. A2 It संश्रयंतो ( A2 °तं); A3 श्रंसयंतं; S ( M1.5 om. ) स्रंसयंतो (Gat अंश; G+ संसयन् ). A2. 3 शुकानि; B1 अंशुकांति ; Y1a अंकुशानि. d) G+ वृत्तं ( for व्यक्तं ). F's W विचरितकृतः ; G1 M1.2 विदितरतिकृतः (G1 ताः ). Eat वांतवाता:; Gs वंतिपातः.
BIS. 2302 (918) Bhartṛ. ed. Boll. lith, ed. III. 1. 49. Haeb. 52. Satakav. 68; Sp. 3945; SRD. p. 348. 19; SBH. 1855; SKM. 64.9 ( Baikalāvarta); Subhyālankarana of Govindajit f. 27a; SLP. 5. 37 (Bh.).
245 {V } Found only in S. - 9 ) X G+ श्रियं ; Y+ रसां; T3 रमा ( for रमां ). W2Y2.7T2. 4 G 1. 3 M3 आस्थायिनीम्. Y3 आश्रय. - 1 ) W1c. 20.3 G1 - भ्रकुटी; W+ Y3. 1 T2. 3 - भृकुटी - W - कुटीर विहर-; X -पठीरपणन-; Get कुटी वितरण - ; M कुटीविरहिण- (for कुटी विहरण- ). Wet -रण्यांगनां. - ) Y3 कंथां. W -कंचुकित: Xe Y3 भुवन. . * ) Y3 : वीथिषु (for पङ्गिषु ). X2 वाणिपात्र ; Yr पाणिमात्र M2 अवेक्षामहे .
BIS. 2304 (920) Bhartr. ed. Bohl. 3. 66. Haeb. 64. lith ed. I. 53. Galan 60. Fatekäv. 105; SSD. 4. 1. 31.
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