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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रह प्रियाणामालापैरधरमधुभिर्वक्रमधुभिः
सनिःश्वासामोदैः सुकुचकलशाश्लेषसुरतैः ॥ १४६ ।। वचसि भवति सङ्गत्यागमुद्दिश्य वार्ता
श्रुतमुखरमुखानां केवलं पण्डितानाम् । जघनमरुणरत्नग्रन्थिकाञ्चीकलापं कुवलयनयनानां को विहातुं समर्थः ॥ १४७ ॥
VAIRĀGYĄ भ्रान्त्वा देशमनेकदुर्गविषमं प्राप्तं न किंचित् फलं
त्यक्त्वा जातिकुलाभिमानमुचितं सेवा कृता निष्फला । मुक्तं मानविवर्जितं परगृहे *आशङ्कया काकवत्
तृष्णे जृम्भणि पापकर्मनिरते नाद्यापि संतुष्यसि ॥ १४८ ॥
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Y1 विनिःश्वासामोदैः; Y2 नवैः श्वासा'; Y4.5.Gst न निःश्वासा; T1.2 सनि(T2 स्वनिःश्वासा'; G5 ध्वनिश्वासा (for सनिःश्वासा). सुकुच is found in A X: Get Mi only; Ye... स्वकुच-3Y7 न कुच- G1 स च कुच- G5 निकुच; the rest सकुच..
BIS. 6759 (3143) Bhartr. ed. Bohl, and lith. ed. 111. 1. 96. Haeb. 99. lith, ed. II. 5. Kavyas. 98. Satakav. 75%3; SLP. 4. 54 (Bh.).
147 ) Eo-2.5 X Y1 भवति वचसि. Eo. संगभ्यासम्. Y३ पाठ: (for वार्ता). -)Aot.sCF3. ItJS श्र(TB)ति: DH I स्मृति F1.2 स्मित (for श्रत ). Ba (orig.) रसानां (m.v. मुखानां as in text).-) AsX मरुणरत्नं ग्रंथि- मरणरत्नग्रंथ DYB°तरुणरत्नग्रंथि-- F1-4 °सनाथं X. कलावं (for °कलापं). - 1) F °वलयानां (for 'नयनानां). G4 विधातुं. समर्थाः.
___BIS. 5904 (2701) Bhartr. ed. Bohl. 1.56. Hael). 50. lith. ed. II. 6; SRB. p. 252. 51; SHV. app. II. f. 1b.2 (Bh.); SLP.4.56 (Bh.).
148 ) As F2.4. I Js W X Y T Gl.at.4 M1- भ्रांतं (Y1 'ता): Ba Es श्रोत्या. Est धनं (for फलं). -") A3 F2 त्यक्ता. F1. Hशील (for जाति). Eot.sYs उचिता. A0-2 BOEo.at FH I X1 निःफला: D निःष्फला: E1. 2c.at.4.BF.st.4. निप्फला; M3 निष्फलं. -) Jit भक्त्वा ; W3t उक्तं; We भुक्त, Y2 भुंत. Ao.1.3 D Eo.3c. 40.5F1.5 I Wit परग्रहे साशं(Aot Eo "सं)कया; A2 E2 परिगृ(E2 )हे सार्श(Eat शाशं- E26 सासं)कया; BHic.v. परग्रहे स्वाशं(B2 'सं)कया; C परगृहे साशंकमाई Est.4t परग्रहेष्वाशंकितं; F2.4 HJ Wic.2-4 X YT GM पर(Jit °रिग्रहेष्वाशंकया: Fe परगृहे साशंकितं. -") Aot.ic (by corr.).2 Ba Eo. 4t. F1 भिणि; B1 भूणि OD Eat Fa-5 JS हृभसि; H वैरिणि; I दुर्मति (for जृम्भणि found only in Aoc. 10 (orig.). Exc. 3.4c). As praia; C F4 J Y1 (Y1B by corr.)3–4 TG M uffarga; Est W: 'कर्मनिरतो; F1 कर्मणि रते; Y: 'रूपपिशुने A संतुष्यते; B1 Eot.it. He Ja Ye GB (orig.) संतुष्यति.
- BIS. 4645 (2080) Bhartr. ed. Bohl. Haeb. lith. ed. I and Galan 3. 4. lith, ed. IL 5. Satakav.94. Subhash.70%B SRB. p.77.54; SBH. 32623 SRH. 176.31 (Bh.);SS.35.7;SK.2.196%3B SU. 1039. (Bh.); SL. I. 40&; SN. 332.
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