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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
येनाचिरात् तदधरामिषलोलमर्त्य
मत्स्यान् विकृष्य स पचत्यनुरागवौ ॥ ११४ ॥
उन्मत्तप्रेम संरम्भादारम्भन्ते यदङ्गनाः ।
तत्र प्रत्यूहमाधातुं ब्रह्मापि खलु कातरः ॥ ११५ ॥ मालती शिरसि जृम्भणोन्मुखी चन्दनं वपुषि कुङ्कुमाविलम् । वक्षसि प्रियतमा मदालसा स्वर्ग एष परिशिष्ट आगतः ॥ ११६ ॥ कुङ्कुमपङ्ककलङ्कितदेहा गौरपयोधरकम्पितहारा । नूपुरहंसरणत्पदपद्माकं न वशीकुरुते भुवि रामा ॥ ११७ ॥
-लोलमृत्युर्; F3. 4 W1c. 2. 3C. 4C - लोभमर्त्य-. - 2 ) C मत्स्यान्विवेक-; Eoc Fs - मत्स्यान्निकृष्य; H - मीनान्विकृष्य; Y: -मच्छान्विकृष्य. C निपतति; Wपचतीति; Y+ - 8T G2 - 5 M विपचति (for स पचति ).
BIS. 6237 (2877) Bhartr. ed. Bohl. 1. 84. Haeb. 87. lith. ed. II. 54. Satakäv. 74 ; SS 44. 2 (baed); SN. 264.
115 In Y2, this stanza lost on missing folio. --- a) c उन्मत्तः; F+ Y 1. 4.5 G 2.3.5 उद्गाढ- ; Y3 उन्मीलत्-; M1.4 उन्मत्ता: ( for उन्मत्त ). Y7 - प्रिय (for प्रेम ). II: -सारंभाद्; V3 -संबंधाव्; Vs -संभोगान्; G1 M2 -सरसम्; GM संचारा; M1 * रसम्; M3 संसर्गाद्
( for -संरम्भाद् ). A0. 3 E2 FY 1. 4-6 T G ( except Gst ) M ( except M2 ) आरभंते [the grammatically correct reading ]; E3 आरंभेते; Y: [आ]रंभते; Yr आरंभंति ( for आरम्भन्ते ). X यदांगना: Ys भजते यदलीगणः – ° ) Yit ( A and printed text ) तं च ( for तत्र ). Fs प्राप्तमहाधातुं; J G1 प्रत्यूहमादातुं. d) E3 दैवोपि (for ब्रह्मापि ). BIS. 1266 (476) Bhartr. ed. Bohl. 1. 60. Haeb. 63. lith. ed. II. 55; SM. 1405; SSV. 1390; SLP. 4. 96 (Bh.).
116 Stanzas 116-118 are omitted in Es, probably due to a missing fol. in exemplar (but com. of 118 found). - * ) D जृंभितोन्मुखी; I भिणोन्मुखी; Y4 - 0.8 T Go जृंभणं मुखे; G+ M2 जृंभणोन्मुखा ( M2 -ख); Ms भृंगिणोन्मुखी. (D) F1 कुंकुमार्पितं (t. v. चिंतं ); F2 माचितं; W23 मान्वितं (W com. कुंकुमेन युक्तं ); G1.3.v. M मारुणं (for माविलम् ). * ) X1 वक्ष्यसि (for वक्षसि ). B2 Fs W मनोहरा; C Eo. +5 Fa मदालसाः; G1 मदालस-; M4.5 रसालसा (for मदा ). 4 ) F2. 4 Y7 G3. 2. + M1-3 एव (for एष ). B2 परिपूर्णम् ; D परिसृष्ट; F2 मृष्ट; X Y 1 तुष्ट; Yo परसिद्धिर् (for परिशिष्ट ). Fi (t.v. as in text) JY 4-8 T G आगम: ( for आगतः ). C स्वर्ग एष परिखिद्यते कथं.
BIS. 4842 (2192) Bhartr. ed. Bohl. 1. 24. Haeb. 26. lith. ed. II, 57. Prasañgābh. 14; SBH. 2228; SLP. 3. 29.
1 ) B1 G+ पीन; Gat.v. चंचल- (for -कम्पित).
117 Jae calls this चित्रपदवृत्त. - 4 ) A2 'कलिंकितदेहा. M3 तुंग- ( for गौर - ). CY 2.4.5 G 2.3 ( by corr.) -लंबित ; Go H1c.v. विकसितजातीपुष्पसुगंधिः . - ' ) 42 B1 नूपर-. -रावरणत्; Git.v. M3 हंसल सत्; M.4.5 -रतरणत्- ( for - हंसरणत्- ). d) A3 E ( E2om.) Fs व ( for वशी ).
J1 W1 - हाराः.
J1 रामाः
BIS. 1787 (691) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. III. 1. 9. Haeb. 11; SRB. p. 253. 13; SBH, 1275; SRK. p. 271. 11 (Bh.); SM. 1385; SSV. 1370; JS. 386; SLP. 2. 103.
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