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on सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
द्वितीय अध्ययन [२८
13. Punishment Troble
Beaten by sticks, the mendicant should not burn in anger, nor bear malice in his mind, knowing forgiveness the best part of adeptation, he should deeply think over the monkhood. (26)
If any person hurts to kill a restrained and sense victor ascetic then mendicant thinks-soul does not die, it is beyond death (27)
१४-याचना-परीषह
दुक्करं खलु भो निच्चं, अणगारस्स भिक्खुणो । सव्वं से जाइयं होइ, नत्थि किंचि अजाइयं ॥२८॥ गोयरग्गपविट्ठस्स, पाणी नो सुप्पसारए ।
'सेओ अगार-वासु' त्ति, इइ भिक्खू न चिन्तए ॥२९॥ अनगार भिक्षु की यह चर्या सदा से ही कठिन रही है कि उसके पास सभी कुछ याचित होता है, कुछ भी अयाचित नहीं होता ॥२८॥
भिक्षाचर्या के लिए गृहस्थ के घर में प्रविष्ट साधु के लिए उसके समक्ष हाथ फैलाना सरल कार्य नहीं है। अतः भिक्षु यह न सोचे कि 'इससे तो गृहवास (घर में रहना) ही अच्छा है' ॥२९॥ 14. Asking Trouble
This is most difficult problem of a homeless mendicant that he has to ask for even the meagre things, he has nothing unasked. (28)
It is very difficult for an ascetic, who has entered a house holder's home for alms, to stretch his hand before him. Hence mendicant should never bring in his mind that household is better than his (mendicant's) life. (29) १५-अलाभ-परीषह
परेसु घासमेसेज्जा, भोयणे परिणिट्ठिए । लद्धे पिण्डे अलद्धे वा, नाणुतप्पेज्ज संजए ॥३०॥ 'अज्जेवाहं न लब्भामि, अवि लाभो सुए सिया' ।
जो एवं पडिसंचिक्खे, अलाभो तं न तज्जए ॥३१॥ जब गृहस्थों के घरों में भोजन तैयार हो जाये तब भिक्षु गोचरी हेतु जाय। गृहस्थों से थोड़ा आहार मिले अथवा न भी मिले तो भी भिक्षु खेद न करे ॥३०॥ ____ आज मुझे आहार नहीं मिला तो संभव है कल मिल जाय। इस प्रकार से विचार करने वाले भिक्षु को अलाभ परीषह पीड़ित नहीं करता, वह अलाभ परीषह को विजित कर लेता है ॥३१॥ 15. Refusal Trouble
A mendicant should go for seeking a morsel of food when the food has been prepared in a house-holder's home. Whether he gets some quantity of food-not sufficient for his appetite, cr he gets no food. In both the positions mendicant should not mind it in any way. (30)
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