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२३] द्वितीय अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
-शीत-परीषह
चरन्तं विरयं लूह, सीयं फुसइ एगया । नाइवेलं मुणी गच्छे, सोच्चाणं जिणसासणं ॥६॥ 'न मे निवारणं अत्थि, छवित्ताणं न विज्जई ।
अहं तु अग्गिं सेवामि'-इह भिक्खू न चिन्तए ॥७॥ पापों से विरक्त और (स्निग्ध भोजन न करने के कारण) रूक्ष शरीर वाला साधु विचरण करते हुए कभी शीत (ठंड) से पीड़ित हो जाये तो भी जिनं शासन (वीतराग के उपदेशों) को सुन-समझकर स्वाध्याय आदि साधुचर्या के काल का उल्लंघन न करे-यथाकाल साधु-नियमों का पालन करे ॥६॥
शीत की अधिकता से पीड़ित मुनि ऐसा न सोचे कि-'मेरे पास शीत की बाधा का निवारण करने के लिए न तो अच्छा मकान है और न कंबल आदि ही है; तब क्यों न अग्नि का सेवन करके शीत की बाधा को शांत कर लूँ ॥७॥ 3. Cold Trouble ___Avoiding the sins and taking unlubricated food, having dry skin (body) such an ascetic, may be afflicted to cold, when wandering alone, still then, hearing and understanding the preachings of free from attachment and aversion (वीतराग) the order of Jinas (जिनशासन) should not neglect the time period of scriptural study and ascetic-order, he should perform the rules of ascetic at the time specified for. (6)
Oppressed by extremity of cold the ascetic should not think that I have no shelter, nor blanket to protect myself, so lit fire to warm up my body.'(7) ४-उष्ण-परीषह
उसिण-परियावेणं, परिदाहेण तज्जिए । धिंसु वा परियावेणं, सायं नो परिदेवए ॥८॥ उण्हाहितत्ते मेहावी, सिणाणं नो वि पत्थए ।
गायं नो परिसिंचज्जा, न वीएज्जा य अप्पयं ॥९॥ • तपी हुई गर्म भूमि, शिला, लू (गर्म वायु) के परिताप से, शरीर या तृषा के दाह से, ग्रीष्मकालीन सूर्य के प्रचण्ड ताप से पीड़ित होता हुआ श्रमण सात (शीत स्पर्श से प्राप्त सुख) के लिए आकुल-व्याकुल न बने ॥८॥
मेधावी श्रमण अत्यधिक गर्मी के ताप से तप्त होने पर भी न तो स्नान की इच्छा करे और न ही शरीर को जल से सींचे-गीला करे और न पंखे आदि से हवा ही करे ॥९॥ 4 Heat Trouble • Oppressed by too much warm ground, rock, warm wind, distressed by warmness of body and thirst, by the blazing summer sun, sage should not seek for cool-touch and cold place. (8)
The wise sage, though roasted by unenduring heat should not desire for bath, nor he should wet his body by water, even not fan himself. (9)
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