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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
द्वितीय अध्ययन [ २०
बीयं अज्झयणं : परीसह-पविभत्ती द्वितीय अध्ययन : परीषह - प्रविभक्ति
सूत्र १ - सुयं मे, आउ ! तेणं भगवया एवमक्खायं
इह खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा, नच्चा, जिच्चा, अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयन्तो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा ।
सूत्र १ (श्री सुधर्मा स्वामी जम्बू स्वामी से कहते हैं) हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है, कि भगवान महावीर ने ऐसा कहा है
काश्यप गोत्रीय श्रमण भगवान महावीर ने (साधु जीवन में आने वाले) २२ परीषहों का वर्णन किया है। इन्हें सुनकर, जानकर, जीतकर, बार-बार के अभ्यास द्वारा परिचित कर, उनकी प्रबलता को परास्त कर मिक्षाचर्या के लिए घूमता हुआ साधु (भिक्षु) इन परीषहों के आने ( स्पृष्ट होने पर भी अपनी संयम यात्रा से विचलित नहीं होता ।
Maxim 1 - ( Sudharmā ganadhara - Swāmi says to his able disciple Jambū swāmi) O long lived Jambu ! I myself have listened that Śramana Bhagavana Mahavira of Kasyapa gotra (lineage) has prescribed these 22 troubles ( परीषह), which occurs in the life of a mendicant. On hearing about them, knowing them, fully understanding them by experiencing again and again, bearing them, conquering them and subduing their strength-while wandering for getting food the mendicant if touched afflicted by them, does not slip from his restrain order.
सूत्र २ - करे खलु ते बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा, नच्चा, जिच्चा, अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयन्तो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा ।
सूत्र २ - ( जम्बू स्वामी की जिज्ञासा) (भगवन् !) काश्यप गोत्रीय श्रमण भगवान महावीर द्वारा कहे हुए २२ परीषह कौन से हैं, जिन्हें सुनकर, जानकर, अभ्यास द्वारा परिचित कर, जीतकर उनकी प्रबलता को कम करके भिक्षाचर्या हेतु घूमता हुआ भिक्षु उनसे आक्रान्त होने पर भी अपनी संयम यात्रा से विचलित नहीं होता ।
Maxim 2 - ( Inquisitiveness of Jambū swāmi) Oh reverend preceptor ! Kāśyapa Gotriya Śramana Bhagavāna Mahāvūra has prescribed 22 troubles. What are these? By hearing about them, knowing them, fully understanding them by experiencing again and again, bearing them, conquering them and subduing their strength-while wandering for getting food the mendicant if touched-came across them does not slip from his restrain order?
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सूत्र ३ - इमे खलु ते बावीसं परीसंहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा, नच्चा, जिच्चा, अभिभूय, भिक्खायरियाए परिव्वयन्तो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा, तं जहा
सूत्र ३ - ( सुधर्मा स्वामी कहते हैं) काश्यप गोत्रीय श्रमण भगवान महावीर द्वारा कहे हुए २२ परीषह - जिन्हें सुनकर, जानकर, अभ्यास द्वारा परिचित कर, जीतकर उनकी प्रबलता को सहनीय बनाकर भिक्षा हेतु पर्यटन करता हुआ भिक्षु इनसे आक्रान्त होने पर भी अपने संयम मार्ग से विचलित नहीं होता; वे २२ परीषह इस प्रकार हैं
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