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तर सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षट्त्रिंश अध्ययन [५२६
कल्पोपक (कल्पोपपन्न) देवों के बारह भेद हैं, यथा-(१) सौधर्म (२) ईशानक (३) सनत्कुमार (४) माहेन्द्र (५) ब्रह्मलोक (६) लान्तक-॥२१०॥
The kalpopapanna gods are of twelve kinds-(1) Saudharma (2) Isanaka (3) Sanatkumāra (4) Mahendra (5) Brahmaloka (6) Lantaka-(210)
महासुक्का सहस्सारा, आणया पाणया तहा ।
आरणा अच्चुया चेव, इइ कप्पोवगा सुरा ॥२११॥ (७) महाशुक्र (८) सहसार, (९) आणत (१०) प्राणत (११) आरण और (१२) अच्युत-ये कल्पोपक देव हैं ॥२११॥
(7) Mahāśukra (8) Sahasrāra (9) Āņata (10) Prāṇata (11) Āraņa and (12) Acyuta-these are kalpopapanna gods. (211)
कप्पाईया उ जे देवा, दुविहा ते वियाहिया ।
गेविज्जाऽणुत्तरा चेव, गेविज्जा नवविहा तहिं ॥२१२॥ जो कल्पातीत देव हैं, वे दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा (१) ग्रैवेयक और (२) अनुत्तर (विमानवासी) देव। ग्रैवेयक देवों के पुनः ९ भेद हैं ॥१२॥
Kalpatita gods are of two kinds-(1) Graiveyakas and (2) Anuttaras. Again Graiveyakas are of nine types. (212)
हेट्ठिमा-हेट्ठिमा चेव, हेट्ठिमा-मज्झिमा तहा ।
हेट्ठिमा-उवरिमा चेव, मज्झिमा-हेट्ठिमा तहा ॥२१३॥ (१) अधस्तन-अधस्तन (२) अधस्तन-मध्यम, (३) अधस्तन-उपरितन (४) मध्यम-अधस्तन-॥२१३॥ (1) Lower-lower (2) lower-middle (3) lower-upper (4) middle-lower-(213)
मज्झिमा-मज्झिमा चेव, मज्झिमा-उवरिमा तहा ।
उवरिमा-हेट्ठिमा चेव, उवरिमा-मज्झिमा तहा ॥२१४॥ (५) मध्यम-मध्यम (६) मध्यम-उपरितन (७) उपरितन-अधस्तन (८) उपरितन-मध्यम ॥२१४॥ (5) middle-middle (6) middle-upper (7) upper-lower (8) upper middle-(214)
उवरिमा-उवरिमा चेव, इय गेविज्जगा सुरा ।
विजया वेजयन्ता य, जयन्ता अपराजिया ॥२१५॥ और (९) उपरितन-उपरितन-ये ९ प्रकार के ग्रैवेयक देव हैं। (१) विजय (२) वैजयन्त (३) जयन्त (४) अपराजित ॥२१५॥
and (9) upper-upper-these are nine types of Graiveyaka gods. (Really beyond the twelfth heaven there are three trios-lower, middle, upper the gods dwelling in these three trios are Graiveyaka gods and are named according to the trios.) (1) Vijaya (2) Vaijayanta (3) Jayant (4) Aparajita-(215)
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