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५०७] पत्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
असंखकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं ।
विजढंमि सए काए, पणगजीवाण अन्तरं ॥१०४॥ अपनी यानी वनस्पतिकाय से निकलकर अन्य कायों में जन्म-मरण करके पुनः वनस्पतिकाय में उत्पन्न होने (अन्य कायों में विताया हुआ काल-अन्तराल) का अन्तर उत्कृष्टतः अनन्तकाल का है और जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त काल का है ||१०४||
The interval time of vegetable-bodied beings (quitting that body, taking births and deaths elsewhere and then coming to that body-the time in between it takes) is maximumly of infinite time and minimumly of antarmuhurta. (104)
एएसिं वण्णओ चेव, गन्धओ रसफासओ ।
संठाणादेसओ वावि, विहाणाइं सहस्सओ ॥१०५॥ इन वनस्पतिकायिक जीवों के-वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान के आदेश-अपेक्षा से हजारों प्रकार बताये गये हैं ||१०५॥
Thousands of types are said of these vegetable-bodied beings with regard to colour, smell, taste, touch and form. (105)
इच्चेए थावरा तिविहा, समासेण वियाहिया ।
इत्तो उ तसे तिविहे, वुच्छामि अणुपुव्वसो ॥१०६॥ इस तरह तीन प्रकार के स्थावर जीवों का संक्षेप में वर्णन किया गया। इससे आगे तीन प्रकार के बस जीवों का आनुपूर्वी से क्रमपूर्वक कथन करूँगा ॥१०६॥
Thus three kinds of immobile beings are described.
Now further I shall demonstrate three kinds of movable species in due order. (106) तीन त्रसकायों का नामोल्लेख
तेऊ वाऊ य बोद्धव्वा, उराला य तसा तहा ।
इच्चेए तसा तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥१०७॥ तेजस्काय, वायुकाय तथा उदार (एकेन्द्रिय त्रसों की अपेक्षा द्वीन्द्रिय आदि उदार-स्थूल) त्रस-इस तरह ये तीन प्रकार के त्रस हैं, उनके भेदों को मुझसे सुनो ।।१०७॥
The movable livings are of three kinds--(1) fire-bodied (2) air-bodied and (3) gross (gross with regard to one-sensed mobile being) mobile beings. Now hear from me the divisions of all these three. (107) तेजस् त्रस काय की प्ररूपणा
दुविहा तेउजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा ।
पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेए दुहा पुणो ॥१०८॥ तेजस्कायिक जीव दो प्रकार के हैं-(१) सूक्ष्म और (२) बादर। पुनः इन दोनों के दो-दो भेद हैं-(१) पर्याप्त और (२) अपर्याप्त ॥१०८|
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