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४९५ ] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
परिमण्डल (चूड़ी के समान गोल आकार ) संस्थान वाला पुद्गल-वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य होता है ॥४२॥
The matter possessing circular (like a bangle) form (frame, figure) is divisible by colour, smell, taste and touch. ( 42 )
संठाणओ भवे वट्टे, भइए से उ वण्णओ । गन्धओ रसओ चेव, भइए फासओ वि य ॥४३॥
वृत्त संस्थान (गेंद के समान गोल आकार वाला) पुद्गल वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है || ४३ ॥ The matter possessing globular (like ball, orange, ape ) form ( shape ) is divisible by colour, smell, taste and touch. (43)
संठाणओ भवे तंसे, भइए से उ वण्णओ । गन्धओ रसओ चेव, भइए फासओ वि य ॥४४॥
त्र्यंश (त्रिकोण) संस्थान (आकार) वाला पुद्गल वर्ण, गंध, रस और स्पर्श से भाज्य होता है ॥४४॥ The matter of triangular form is divisible by colour, smell, taste and touch. ( 44 )
संठाणओ य चउरंसे, भइए से उ वण्णओ । गन्धओ रसओ चेव, भइए फासओ वि य ॥४५॥
चौरस - चौकोन (वर्गाकार) संस्थान वाला पुद्गल - वर्ण, गंध, रस और स्पर्श से भी भाज्य होता है ॥ ४५ ॥ The matter of square form is divisible by colour, smell, taste and touch. ( 45 )
जे आययसंठाणे, भइए से उ वण्णओ । गन्धओ रसओ चेव, भइए फासओ विय ॥४६॥
आयत संस्थान वाला पुद्गल - वर्ण, गंध, रस और स्पर्श से भी भाज्य है ॥४६॥
The matter of rectangular (cylinderical, long like a bamboo or rope) form is divisible by colour, smell, taste and touch. (46)
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एसा अजीवविभत्ती, समासेण वियाहिया ।
इत्तो जीवविभत्तिं, वुच्छामि अणुपुव्वसो ॥४७॥
यह संक्षिप्त में अजीव विभक्ति की प्ररूपण की गई है। अब यहाँ से क्रमशः जीव-विभक्ति का कथन करूँगा ||४७ ||
Thus the divisions of non-soul substances demonstrated.
Now further I shall describe the divisions of soul. (47) जीव - प्ररूपणा
संसारत्था य सिद्धा य, दुविहा जीवा वियाहिया । सिद्धाऽणेगविहा वृत्ता, तं मे कित्तयओ सुण ॥ ४८ ॥
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