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४८९ ] षट्त्रिंश अध्ययन
रूपी अजीव प्ररूपणा
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
खन्धाय खन्धदेसा य, तप्पएसा तहेव य । परमाणुणो य बोद्धव्वा, रूविणो य चउविव्वहा ॥१०॥
(१) स्कन्ध, (२) स्कन्ध के देश (३) उस ( स्कन्ध) के प्रदेश और (४) परमाणु - इस प्रकार रूपी अजीव द्रव्य के चार भेद हैं ॥१०॥
(1) Molecule (Compound) (2) its divisions ( 3 ) its sub-divisions and (4) atoms (indivisible part)-thus with form substance is of four kinds. (10)
गत्ते पुहत्तेण खन्धा य परमाणुणो । लोएगदेसे लोए य, भइयव्वा ते उ खेत्तओ ॥ इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउव्विहं ॥११॥
परमाणुओं के एकत्व (सम्मिलन) से स्कन्ध का निर्माण हो जाता है और स्कन्ध के पृथक्त्व ( विभाजित होने-बिखर जाने) से परमाणु बन जाते हैं। (यह स्थिति द्रव्य की अपेक्षा से बताई गई है ) |
क्षेत्र की अपेक्षा से वे स्कन्ध और परमाणु लोक के एक देश में तथा संपूर्ण लोक में भाज्य हैं। अतः उनके असंख्य विकल्प (भेद) हैं।
यहाँ से आगे मैं उन स्कन्ध और परमाणुओं के काल विभाग की अपेक्षा से चार भेद कहूँगा ||११||
Molecule comes into existence by the assimilation of atoms and when molecule divided or scattered the atom takes place. (This position is described with respect to substance).
With regard to place those compounds or molecules are spread in one part of world and the whole. So there are innumerable types of these.
Now further I shall describe the four divisions of those molecules and atoms with regard to time. (11)
संतई पप्प तेऽणाई, अपज्जवसिया वि य ।
ठि पडुच्च साईया, सपज्जवसिया विय ॥१२॥
प्रवाह (संतति ) की अपेक्षा से वे स्कन्ध- परमाणु अनादि और अनन्त हैं। स्थिति (नियत स्थान पर अवस्थान) की अपेक्षा से सादि - सान्त भी हैं ॥ १२ ॥
With regard to continuity these molecules and atoms are beginningless and endless. But with regard to stability at a particular point of space these have beginning and an end too. (12) एगं समयं जहन्निया ।
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असंखकालमुक्कोसं,
अजीवाण य रूवीणं, ठिई एसा वियाहिया ॥ १३॥
रूपी अजीव द्रव्यों की यह स्थिति जघन्य (कम से कम) एक समय की और उत्कृष्ट ( अधिक से अधिक) असंख्यात काल की कही गई है || १३||
This stability of with form substances is minimum of one samaya and maximum of pumberless time. (13)
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