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ain, सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयस्त्रिंश अध्ययन [४५२
Two divisions are of Conduct Illusory karma-(1) Passion illusory and (2) auxiliary or like to passions illusory (no-kasāya) (10)
सोलसविहभेएणं, कम्मं तु कसायजं ।
सत्तविहं नवविहं वा, कम्मं नोकसायजं ॥११॥ कषाय मोहनीय कर्म के सोलह भेद हैं। सात अथवा नौ प्रकार का नोकषाय मोहनीय कर्म है ॥११॥
Passion illusory karma has sixteen kinds and auxiliary passion karma is said of seven or nine types. (11)
नेरइय-तिरिक्खाउ, मणुस्साउ तहेव य ।
देवाउयं चउत्थं तु, आउकम्मं चउव्विहं ॥१२॥ (१) नैरयिक आयु (२) तिर्यग् आयु (३) मनुष्य आयु और (४) देव आयु-इस तरह आयुकर्म चार प्रकार का है ॥१२॥ ___Age determining karma is fourfold (1) denizens of hell (2) beasts, creature, birds etc., (3) men and (4) deities and gods. (12)
नामं कम्मं तु दुविहं, सुहमसुहं च आहियं ।
___सुहस्स उ बहू भेया, एमेव असुहस्स वि ॥१३॥ नाम कर्म दो प्रकार का है-(१) शुभनाम कर्म और (२) अशुभ नामकर्म। शुभ नामकर्म के बहुत भेद हैं, इसी तरह अशुभ नाम कर्म के भी बहुत भेद हैं ॥१३॥
Form of body determining karma is twofold (1) auspicious and (2) inauspicious. Both of these are of several types. (13)
गोयं कम्मं दुविहं, उच्चं नीयं च आहियं ।
उच्चं अट्ठविहं होइ, एवं नीयं पि आहियं ॥१४॥ गोत्र कर्म दो प्रकार है-(१) उच्च गोत्रकर्म और (२) नीच गोत्रकर्म। उच्च गोत्रकर्म आठ प्रकार का है इसी तरह नीच गोत्रकर्म भी आठ प्रकार का बताया गया है ॥१४॥ ___Status or lineage or family determining karma is of two types-(1) high and (2) low, High is of eight kinds and so the low is also of eight types. (14)
दाणे लाभे य भोगे य, उवभोगे वीरिए तहा |
पंचविहमन्तरायं, समासेण वियाहियं ॥१५॥ (१) दानान्तराय (२) लाभान्तराय (३) भोगान्तराय (४) उपभोगान्तराय और (५) वीर्यन्तराय-संक्षेप से अन्तराय कर्म के ये पाँच प्रकार बताये गये हैं ॥१५॥
Power hindering karma is said of five kinds viz., hindering-(1) donation or charity (2) gains or profits (3) the things can be utilised or used only once-like food etc. (4) the things can be used many times-like cloths etc (5) energy, zeal or power. (15)
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