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३४९] अष्टाविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
रागो दोसो मोहो, अन्नाणं जस्स अवगयं होइ । आणाए रोयंतो, सो खलु आणारुई नाम ॥२०॥
३. आज्ञा रुचि - जिसके राग, द्वेष, मोह और अज्ञान नष्ट हो गये हैं, उसकी आज्ञा में रुचि रखना, आज्ञा रुचि है ॥२०॥
(3) Command interest-To be interested to the command of those whose attachment, detachment, delusion and ignorance are destructed, is the command interest. (20)
जो सुत्तमहिज्जन्तो, सुएण ओगाहई उ सम्मत्तं । अंगेण बाहिरेण व, सो सुत्तरुइ त्ति नायव्वो ॥२१॥
४. सूत्र रूचि - जो अंगप्रविष्ट और अंगबाह्य श्रुत का अवगाहन करता हुआ, श्रुत द्वारा सम्यक्त्व का उपार्जन करता है, वह सूत्र रुचि है ॥२१॥
( 4 ) Scriptural interest-By study of Anga-pravista and anga bāhya canonical literature, who earns right faith, is called scriptural interest. (21)
एगेण अणेगाई, पयाई जो पसरई उ सम्मत्तं । उदए व्व तेल्लबिन्दू, सो बीयरुइ त्ति नायव्वो ॥२२॥
५. बीज रुचि - जिस प्रकार पानी में तेल की बूँद फैल जाती है, उसी प्रकार जो सम्यक्त्व एक पद से अनेक पदों में प्रसारित होता है, वह बीजरुचि है ॥२२॥
(5) Seed interest - As the drop of oil spreads over the surface of water, in the same way the belief spreads from one line to many lines, is called seed interest. (22)
सो होइ अभिगमरुई, सुयनाणं जेण अत्थओ दिट्ठ ।
एक्कारस अंगाई, पइण्णगं दिट्ठिवाओ य ॥२३॥
६. अभिगम रुचि - जिसने ११ अंग, प्रकीर्णक, दृष्टिवाद आदि श्रुतज्ञान अर्थसहित प्राप्त किया है, वह अभिगम रुचि है ॥२३॥
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(6) Grasp Interest-Who has grasped the śruta knowledge with meaning, of 11 angas, prakimakas and drstivāda, that is grasp interest. (23)
दव्वाण सव्वभावा, सव्वपमाणेहिं जस्स उवलद्धा । सव्वाहि नयविहीहि य, वित्थाररुइ त्ति नायव्वो ॥२४॥
७. विस्तार रुचि - सभी प्रमाणों और सभी नयविधियों से द्रव्यों के सभी भाव जिसे उपलब्ध - ज्ञात हो गये हैं, उसे विस्तार रुचि जानना चाहिए ॥ २४ ॥
(7) Complete Course interest-Who has known all the modifications by all pramāņas and nayas, that is complete course interest. (24)
दंसण - नाण-चरित्ते, तव - विणए सच्च- समिइ - गुत्तीसु । जो किरियाभावरुई, सो खलु किरियारुई नाम ॥ २५ ॥
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