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on सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षड्विंश अध्ययन [३३६
- विशेष स्पष्टीकरण गाथा १३-१६-पुरुष शब्द से “पौरुषी" शब्द का निर्माण हुआ। पुरुष के द्वारा जिस काल का माप हो, वह पौरुषी, अर्थात् प्रहर है। पुरुष शब्द के दो अर्थ हैं-परुष शरीर-और शंक। शंक २४ अंगल प्रमाण एक नाप होता है। पैर से जान (घुटने) तक का प्रमाण भी २४ अंगुल ही होता है। जिस दिन किसी भी वस्तु की छाया वस्तु के प्रमाण के अनुसार होती है, वह दिन दक्षिणायन का प्रथम दिन होता है, युग के प्रथम वर्ष (सूर्यवर्ष) के श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को शंकु एवं जानु की छाया अपने ही प्रमाण के अनुसार २४ अंगुल पड़ती है। १२ अंगुल का एक पाद-पैर होने से शंकु एवं जानु की २४ अंगुल छाया को दो पाद माना है।
एक वर्ष में दो अयन होते हैं। दक्षिणायन और उत्तरायण। दक्षिणायन श्रावण मास में प्रारम्भ होता है और उत्तरायण माघ मास में। दक्षिणायन में छाया बढ़ती है और उत्तरायण में घटती है।
गाथा १९-२०-रात्रि के चार भाग होते हैं-(१) प्रादोषिक अर्थात् रात्रि का मुख भाग, (२) अर्धरात्रिक (३) वैरात्रिक और (४) प्राभातिक। प्रादोषिक और प्राभातिक इन दो प्रहरों में स्वाध्याय किया जाता है। अर्धरात्रि में ध्यान और वैरात्रिक में शयनक्रिया-निद्रा। (ओघ नि. गा. ६५८)
Salient Elucidations
Gāthā 13-16-The word paurusi is formed from purusa-the man. The time which is measured by the shadow of purusa, that is paurusi-meaning prahara. The word purusa has two meanings-the body of a man and (2) Sanku. Šanku is a measurement of 24 angulas-fingers (breadth of fingers). Measurement from foot to knee is also of 24 fingers. On the day the shadow is equal to the thing, that day is called the first day of deccan semi circle. On the first year of yuga (solar year) the first day of lunar month Srāvaņa of black fortnight, at that day the shadow of Sanku and Jānu is of 24 fingers. The foot, being of 12 fingers the shadow of Janu and Sanku is supposed to be of two foots (padas)
There are two ayanas in a year-deccan and northern. Deccan begins from Sravana and northern from Māgha month. The shadow increases in deccan and decreases in northern ayana.
Gathā 19-20-There are four parts of night-(1) Pradosika-the beginning part of night (2) midnight (3) Vairatrika and (4) Prābhātika. Studies are practised in two parts (praharas) Pradoșika and Prabhatika, meditation in midnight and sleep in Vairatrika. (Ogha Niryukti, couplet 658)
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