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In सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षड्विंश अध्ययन [३३०
६. वेदिका-प्रतिलेखना करते समय घुटनों के ऊपर, नीचे या बीच में दोनों हाथ रखना या दोनों भुजाओं के बीच में घुटनों को रखना अथवा एक घुटना भुजाओं में और दूसरा बाहर रखना ॥२६॥ Faults of Inspection
(1) Arbhata-To inspect the cloth, contrary to the prescribed method. (2) Sammarda-Pressing with force to crush the cloths or to sit upon them. (3) Mosali-To touch the cloth by any other thing high or low, this side and that side. (4) Prasfotana-To powerfully jerk the cloth full of dirt.
(5) Viksiptā-Scattering the cloths hither and thither or to keep the inspected cloths among uninspected.
(6) Vedika-While inspecting, to keep both the hands over, under and middle of knees or keep both the arms around the knees or one knee around the arms and one out of arms. (26)
पसिढिल-पलम्ब-लोला, एगामोसा अणेगरूवधुणा ।
कुणइ पमाणि पमायं, संकिए गणणोवगं कुज्जा ॥२७॥ ७. प्रशिथिल-वस्त्र को ढीला पकड़ना। ८. प्रलम्ब-वस्त्र को इस तरह पकड़ना कि उसके कोने नीचे लटकते रहें।
९. लोल-प्रतिलेखित किये जा रहे वस्त्र का भूमि या हाथ से संघर्षण करना। १०. एकामर्शा-वस्त्र को बीच से पकड़कर एक दृष्टि से ही पूरे वस्त्र को देख जाना।
११. अनेकरूप पुनना-अनेक तरह से अथवा अनेक बार (तीन बार से अधिक) वस्त्र को धुनना, हिलाना या झटकना। अथवा कई वस्त्रों को एक साथ एक बार ही झटकना।
१२. प्रमाण-प्रमाद-प्रस्फोटन और प्रमार्जन का प्रमाण जो नौ-नौ बार बताया है उसमें प्रमाद करना।
१३. गणनोपगणना में शंका-प्रस्फोटन और प्रमार्जन के प्रमाण में शंका होने पर हाथ की अंगुलियों के पोरुओं (पर्व रेखाओं) से गणना करना ॥२७॥
(7) Prasithila-To pick up the cloth loosely. (8) Pralamba-To hold the cloth in the manner so that its corners dangle and swing.
(9) Lola-The cloth which is under the process of inspection, to rub it with hands or ground.
(10) Ekāmarsa-Holding the cloth at the middle to see the cloth in one sight.
(11) Anekarupa dhunanā-By many ways or many times (more than three times) to shake and jerk the cloth or to jerk many cloths together.
(12) Pramāņa Pramada-To mistake in the number of jerks and wipes.
(13) Doubt in counting-To count on the fingers if doubt arouses in the number of jerks and wipes. (27)
अणूणाइरित्तपडिलेहा, अविवच्चासा तहेव य। पढमं पयं पसत्थं, सेसाणि उ अप्पसत्थाइं ॥२८॥
Jain
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