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३०७] चतुर्विश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
अणावायमसंलोए, परस्सऽणुवघाइए ।
समे अज्झुसिरे यावि, अचिरकालकयंमि य ॥१७॥ ___ उच्चार-मल, प्रस्रवण-मूत्र, श्लेष्म-कफ, सिंघानक-नाक का मैल, जल्ल-शरीर का मैल, आहार, उपधि, शरीर तथा अन्य भी किसी विसर्जन योग्य वस्तु का विवेकपूर्वक स्थण्डिल भूमि में परिष्ठापन करे ॥१५॥
स्थण्डिल भूमि चार तरह की होती है(१) अनापात असंलोक-जहाँ लोग न आते-जाते हों और न दूर से ही दीखते हों। (२) अनापात संलोक-लोग जहाँ आते-जाते तो न हों किन्तु दूर से दिखाई देते हों। (३) आपात असंलोक-लोग आते-जाते हों किन्तु दूर से दीखते न हों। (४) आपात संलोक-लोग आते-जाते भी हों और दिखाई भी देते हों ॥१६॥
जो भूमि अनापात-असंलोक हो, परोपघात से रहित हो, सम हो, पोली न हो, कुछ समय पहले ही अचित्त (निर्जीव) हुई हो-॥१७॥ ___Stool, urine, saliva, mucus, dirt from his own body, offals of food, waste things, even body (when he dies) and likewise every thing else. (15)
The place where the dirt of body may be deserted is of four kinds(1) Where people does not frequently move and not seen. (2) Where man does not frequently move but seen from far. (3) People move frequently but not seen. (4) People frequently move and seen. (16)
That earth (place) should be free from movement and seen by, devoid of cause of injury to others, even (flat) and became free of beings before some time. (17)
वित्थिण्णे दूरमोगाढे, नासन्ने बिलवज्जिए ।
तसपाण-बीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे ॥१८॥ विस्तृत हो, गाँव से दूर हो, बहुत नीचे तक अचित्त हो, बिल तथा त्रस प्राणी और बीजों से रहित होऐसी भूमि में मल आदि का व्युत्सर्ग करना चाहिए ॥१८॥
Vast and far from village, free from beings upto sufficient deapth, no holes and without the moving beings and devoid of seeds--the sage should desert the dirt of body in such a land. (18)
एयाओ पंच समिईओ, समासेण वियाहिया ।
एत्तो य तओ गुत्तीओ, वोच्छामि अणुपुव्वसो ॥१९॥ ये पाँच समितियाँ संक्षेप में बताई गई हैं। अब यहाँ से आगे अनुक्रम से तीन गुप्तियाँ कहूँगा ॥१९॥
These five vigilences are described in short. Now I will tell about restraints. (19) १-मनोगुप्ति
सच्चा तहेव मोसा य, सच्चामोसा तहेव य । चउत्थी असच्चमोसा, मणगुत्ती चउव्विहा ॥२०॥
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