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An सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
चतुर्विश अध्ययन [३०४
चउविंसइमं अज्झयणं : पवयण-माया | चतुर्विंश अध्ययन : प्रवचन-माता
अट्ठ पवयणमायाओ, समिई गुत्ती तहेव य ।
पंचेव य समिईओ, तओ गुत्तीओ आहिया ॥१॥ समिति और गुप्ति-मिलकर आठ प्रवचनमाताएँ हैं। समितियाँ पाँच हैं और गुप्तियाँ तीन हैं ॥१॥
Vigilences and restraints are eight mother of religious order. Vigilences are five and restraints are three. (1) |
इरियाभासेसणादाणे, उच्चारे समिई इय ।
मणगुत्ती वयगुत्ती, कायगुत्ती य अट्ठमा ॥२॥ ईर्या समिति, भाषा समिति, एषणा समिति, आदान-निक्षेपणा समिति, और उच्चार-प्रस्रवण (परिष्ठापनिका)-ये पाँच समिति तथा मनोगुप्ति, वचनगुप्ति और आठवीं कायगुप्ति है ॥२॥
(1) Of movement, (2) speaking (3) seeking for necessary things (4) take-put (5) deserting the stool and urine-these are five vigilences and controlling mind, language and body are three restraints. (2)
एयाओ अट्ठ समिईओ, समासेण वियाहिया ।
दुवालसंगं जिणक्खायं, मायं जत्थ उ पवयणं ॥३॥ संक्षेप में ये आठ समितियाँ कही गई हैं। इनमें जिनेन्द्र-कथित द्वादशांगरूप समग्र प्रवचन समाहित हो जाता है ॥३॥
In short these eight vigilences are said. Among these all the preceptions given by Jinas, the twelve angas, are incorporated. (3) १-ईर्या समिति
आलम्बणेण कालेण, मग्गेण जयणाइ य । चउकारणपरिसुद्धं, संजए इरियं रिए ॥४॥ तत्थ आलंबणं नाणं, दसणं चरणं तहा । काले य दिवसे वुत्ते, मग्गे उप्पहवज्जिए ॥५॥ दव्वओ खेत्तओ चेव, कालओ भावओ तहा । जयणा चउव्विहा वुत्ता, तं मे कित्तयओ सुण ॥६॥ दव्वओ चक्खुसा पेहे, जुगमित्तं च खेत्तओ । कालओ जाव रीएज्जा, उवउत्ते य भावओ ॥७॥
Jain
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